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नई शिक्षा नीति के अमल में लानी होगी तेजी, नहीं चलेगा ढुलमुल रवैया, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों से मांगा ब्योरा

शिक्षा मंत्रालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल को लेकर राज्‍य सरकारों की ओर से उठाए गए कदमों की समीक्षा शुरू कर दी है। केंद्र ने सभी राज्‍यों से प्रगति रिपोर्ट मांगी गई है। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 13 Apr 2022 10:11 PM (IST)Updated: Thu, 14 Apr 2022 06:29 AM (IST)
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अमल को लेकर केंद्र ने राज्‍यों से जानकारी मांगी है। (File Photo PTI)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। शिक्षा के क्षेत्र में बड़े सुधारों के मकसद से लाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू किए दो साल पूरे होने वाले है। इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने इसके अमल को लेकर उठाए गए कदमों की समीक्षा शुरू कर दी है। इस दौरान सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों सहित अमल से जुड़ी सभी एजेंसियों से प्रगति रिपोर्ट मांगी गई है। केंद्र ने स्पष्ट कर दिया है कि नीति को लागू करने में तेजी लानी होगी, ढुलमुल रवैया नहीं चलेगा।

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यह संकेत भी दिए हैं कि नीति को लागू करने में बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों को वित्तीय मदद मुहैया कराने में प्राथमिकता दी जाएगी। जरूरत पड़ने पर इन्हें अतिरिक्त मदद भी मुहैया कराई जाएगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को सरकार ने जुलाई 2020 को मंजूरी दी थी। एनईपी के अमल में तेजी से जुटे शिक्षा मंत्रालय का इस दौरान सबसे ज्यादा फोकस राज्यों पर ही है, क्योंकि शिक्षा संविधान की समवर्ती सूची का विषय है। जिसमें केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना होता है।

इस बीच जो स्थिति है उनमें ज्यादातर राज्यों में नीति के अमल को लेकर तेजी से काम चल रहा है, लेकिन बंगाल और तमिलनाडु जैसे कुछेक ऐसे राज्य भी हैं, जो इसका विरोध कर रहे हैं। बंगाल ने तो हाल ही में खुद की शिक्षा नीति बनाने के संकेत दिए है। साथ ही इसे लेकर एक उच्चस्तरीय कमेटी भी गठित की है।

मंत्रालय ने हालांकि अब तक बंगाल के इस कदम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन संकेत दिए हैं कि एनईपी के अमल में ढुलमुल रवैया अपनाने वाले राज्यों को वित्तीय मदद मिलने में दिक्कत हो सकती है। वैसे भी मंत्रालय ने शिक्षा से जुड़ी अपनी सभी योजनाओं में एनईपी के मुताबिक बदलाव किए हैं। ऐसे में राज्यों को तभी वित्तीय मदद मिलेगी, जब वह उस दिशा में आगे कोई कदम बढ़ाएंगे। मंत्रालय ने नीति के अमल के लिए जो लक्ष्य तय किए है, उसकी भी पड़ताल शुरू की है।

मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस समीक्षा में स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों से ही जुड़ी सिफारिशों के अमल को परखा जा रहा है। गौरतलब है कि शिक्षा में बदलाव से जुड़ी इस नीति को वर्ष 2030 तक लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि शुरुआत के दो सालों में सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव के कई बड़े कदम उठाए हैं। इनमें स्कूली शिक्षा के ढांचे में बदलाव, उच्च शिक्षा में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा की शुरुआत, दो डिग्री कोर्स को मंजूरी, क्रेडिट बैंक स्कीम आदि शामिल हैं। 


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