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ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने को नई मुहिम, डिजिटल भुगतान की राह में जानें क्‍या है बड़ी बाधा

रिजर्व बैंक की तरफ से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि नोटबंदी के जरिये सिस्टम से नकदी घटाने की जो कोशिश की गई थी वह एक तरह से असफल हो चुकी है। नवंबर 2016 में देश के बैंकिंग सिस्टम में 10.97 लाख करोड़ रुपये की नकदी थी।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 07:30 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 07:21 AM (IST)
ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने को नई मुहिम, डिजिटल भुगतान की राह में जानें क्‍या है बड़ी बाधा
ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने को नई मुहिम।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रिजर्व बैंक की तरफ से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि नोटबंदी के जरिये सिस्टम से नकदी घटाने की जो कोशिश की गई थी वह एक तरह से असफल हो चुकी है। नवंबर, 2016 में देश के बैंकिंग सिस्टम में 10.97 लाख करोड़ रुपये की नकदी थी। अक्टूबर, 2021 में यह 57 प्रतिशत बढ़कर 28.30 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इस बीच डिजिटल भुगतान की रफ्तार में अभूतपूर्व तेजी जरूर आई, लेकिन सरकार और आरबीआइ इससे बहुत खुश नहीं हैं। आकलन में यह बात भी सामने आई कि ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी का जोर पहले के मुकाबले काफी बढ़ा है, लेकिन वहां डिजिटल भुगतान की व्यवस्था अभी भी नाकाफी है।

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ऐसे में आरबीआइ और सरकार की तरफ से ग्रामीण क्षेत्रों में प्वाइंट आफ सेल्स (डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाली मशीन) के प्रचलन बढ़ाने पर ज्यादा जोर देने का फैसला किया गया है। इसके लिए पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (पीआइडीएफ) स्कीम की मदद ली जाएगी।पीआइडीएफ का गठन एक जनवरी, 2021 को किया गया है। इसका उद्देश्य टियर तीन से टियर छह दर्जे की छोटी-छोटी आबादी वाले शहरों में डिजिटल भुगतान का काम तेज करना है। इस फंड से उन एजेंसियों को सब्सिडी दी जाती है तो डिजिटल भुगतान के लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदान करते हैं। फंड में अभी 614 करोड़ रुपये की राशि है।

आरबीआइ के आंकड़े बताते हैं कि सितंबर, 2021 तक इस फंड की मदद से मझोले से लेकर बेहद छोटी आबादी वाले शहरों (पांच हजार की आबादी से ज्यादा) में कुल 57.82 लाख डिवाइस लगाए जा चुके हैं। हाल ही में सरकार ने यह फैसला किया था कि शहर के रेहडी-पटरी वालों को भी डिजिटल भुगतान की सुविधा वाले डिवाइस देने में भी इस फंड का इस्तेमाल किया जाएगा। इसका बड़ा विस्तार अब ग्रामीण क्षेत्रों में होगा।

स्मार्ट फोन का अभाव डिजिटल भुगतान की राह में सबसे बड़ी बाधा

सरकारी सूत्रों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र में डिजिटल भुगतान के प्रसार की राह में सबसे बड़ी बाधा यह है कि वहां के दुकानदारों के पास स्मार्ट फोन नहीं है। इसके अलावा जीपीआरएस (जनरल पैकेट रेडियो सर्विस), पीएसटीएन (पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क) की भी काफी कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए कई स्तरों पर काम करने की जरूरत है।

नकदी प्रसार को कम करने में मिलेगी मदद

पीडीआइएफ स्कीम जिस तरह से छोटे शहरों में काम कर रही है उसके तहत अगर ग्रामीण क्षेत्रों के वाणिज्यिक केंद्रों ( दुकानों व कारोबारियों) पर ध्यान दिया जाए तो डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिल सकता है। इससे नकदी प्रसार को कम करने में भी मदद मिलेगी। इस बारे में आरबीआइ और वित्त मंत्रालय के बीच लगातार बात हो रही है कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल तरीके से लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए और क्या-क्या कदम उठाए जाएं।


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