ऐ भाई! जरा देख के चलो, हादसों को दावत देती वाहनों की खराब दशा और हमारी लापरवाही
नवंबर-दिसंबर के दौरान पूरे उत्तर भारत को घना कोहरा अपने आगोश में ले लेता है। इस मौसमी हालात में दुर्घटनाओं की आशंका कई गुना बढ़ जाती है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। जिस भारत की वैश्विक वाहनों में महज एक फीसद भागीदारी है, सड़क दुर्घटनाओं में हताहत होने वालों की 10 फीसद की उसकी हिस्सेदारी इस समस्या की पूरी कहानी बयां कर देती है। हर साल डेढ़ लाख लोग हमारी सड़कों पर दम तोड़ देते हैं। सड़क दुर्घटनाओं के चलते सालाना हमारी अर्थव्यवस्था को तीन फीसद की चपत लगती है। इससे भी इस समस्या की विभीषिका का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हों तो जाइए किसी उस परिवार से मिलिए जिसने अपने भरण-पोषण के इकलौते चिराग को इसमें खो दिया हो। जनाब, परिवार की कमर टूट जाती है। कुल सड़क हादसों में करीब चौथाई मामले वाहन चालक की गलती से होते हैं।
लिहाजा सड़क हादसों को रोकने के लिए वाहन चालकों को प्रशिक्षित करने की दरकार है। हेलमेट पहनने, सीट बेल्ट लगाने, शराब पीकर गाड़ी न चलाने, तेज रफ्तार में गाड़ी न चलाने जैसे मसलों के लिए हम पुलिसिया डर पर क्यों आश्रित होते हैं? कानून को भी सरल किए जाने की जरूरत है। नवंबर-दिसंबर के दौरान पूरे उत्तर भारत को घना कोहरा अपने आगोश में ले लेता है। इस मौसमी हालात में दुर्घटनाओं की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। ऐसे में सावधानी ही बचाव है। लोगों को इस समस्या के प्रति जागरूक करने के लिए दैनिक जागरण हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह अभियान आयोजित करता है। इस बार यह अभियान 12 नवंबर से 18 नवंबर के बीच चलाया जाएगा। अभियान में समस्या से जुड़े हर पहलू और पक्ष को सामने रख उसका निदान तलाशा जाएगा।
ऐसे रहें सुरक्षित
मंजिल पर पहुंचाने के लिए सड़कों का हमें शुक्रिया कहना चाहिए, लेकिन सुरक्षित मंजिल पर पहुंचने के लिए खुद भी कुछ एहतियात बरतने की आदत विकसित करनी चाहिए। जीवन अनमोल है। सड़क पर खतरों के खिलाड़ी न बनें, क्योंकि घर पर कोई आपका इंतजार कर रहा है। याद रखें, जिंदगी न मिलेगी दोबारा।
जब आप सड़क पर पैदल चल रहे हों
पैदलयात्रियों के लिए नियत स्थान पर चलें
पैदलयात्रियों के लिए निर्धारित स्थान पर चलें। यदि सड़क पर पैदल चलने वालों के लिए स्थान नहीं है तो सड़क के एकदम किनारे वाहनों के आने की विपरीत दिशा में चलें, जिससे आप और सामने वाला एक दूसरे को देख सकें।
सुरक्षित पार करें सड़क
सड़क पार करते समय हमेशा पैदलयात्रियों के लिए बनी क्रासिंग का इस्तेमाल करें। इसमें ओवरहेड ब्रिज, जेब्रा क्रॉसिंग, सबवे शामिल हैं। ट्रैफिक सिग्नल लाइटों की हरी झंडी पर ही आगे कदम बढ़ाएं।
हेडफोन का इस्तेमाल नहीं
सड़क पार करते समय हेडफोन या सेलफोन का इस्तेमाल न करें। इससे ध्यान बंट जाता है।
बस पर चढ़ने के लिए
बस पर चढ़ते या उतरते समय तभी कदम बढ़ाएं जब बस निर्धारित स्थान पर एकदम रुक जाए।
वाहनों की भीड़ में सड़क
पार करना रुकी हुई वाहनों की भीड़ में किसी वाहन या उनके बीच से सड़क पार कतई न करें।
मुड़ती सड़क को पार न करें
जहां सड़क मुड़ रही हो, वहां से उसे पार करने का जोखिम बिल्कुल न लें। यह ऐसा स्थान होता है जहां वाहन चालक और पैदलयात्री एक दूसरे को कम से कम देख पाते हैं।
जब आप वाहन चला रहे हों
हेलमेट का इस्तेमाल करें अच्छी गुणवत्ता वाले हल्के रंग और रेफ्लेक्टर युक्त हेलमेट लें।
दिन में भी लाइटें ऑन रखें
दिन में भी वाहन की लाइटें ऑन रखें। रात में सामने वाले वाहन चालक की सुविधा के लिए अपनी लाइटें लो बीम पर रखें।
नशा करके गाड़ी न चलाएं
किसी भी प्रकार का नशा करके वाहन चलाने से अनिवार्य परहेज करें।
किसी भी वाहन के बहुत पीछे न चलें
किसी भी वाहन के एकदम पीछे रहने से बचें। अचानक ब्रेक से आपको चोट लग सकती है। तीन सेकंड नियम का पालन करें।
साइड मिरर का इस्तेमाल करें
पीछे से आ रहे वाहनों के आकार-प्रकार और दूरी को जानने के लिए इसका इस्तेमाल जरूरी है।
बच्चे के साथ यात्रा कर रहे हों
बाइक पर बच्चे के साथ हों बच्चे को बच्चे वाले हेलमेट से सुरक्षित रखें। 15 साल के कम के बच्चे को पीछे न बिठाएं।
बेबी ऑन बोर्ड साइन लगाएं
अगर आपके वाहन में कोई बच्चा है तो बेबी ऑन बोर्ड संकेतक का इस्तेमाल करें।
पार करते समय बच्चे की अंगुली पकड़ें
सड़क पार करते समय और ट्रैफिक के पास बच्चे का हाथ पकड़ कर चलें।
कार को चालू न छोड़ें
अगर आपकी कार में कोई बच्चा मौजूद है तो कार को चालू छोड़कर बाहर न निकलें।
कार की अगली सीट पर बच्चे को न बिठाएं
12 साल से कम के बच्चे को कार की अगली सीट पर न बिठाएं। अचानक ब्रेक लगाने से बच्चे का सिर डैशबोर्ड से टकरा सकता है।
साइकिल चला रहे हों
दो मीटर पीछे साइकिल चलाएं
टक्कर से बचने के लिए वाहनों के पीछे करीब दो मीटर पर साइकिल चलाएं। बाएं या दाएं मुड़ते समय हाथ से संकेत करें।
वाहन पकड़कर न चलें
किसी और चलते वाहन को पकड़कर न चलें। यकायक ब्रेक लगाने पर आपको समस्या हो सकती है।
साइकिल में उपकरण लगाएं
साइकिल में लाइट लगाएं। साथ ही आगे, पीछे और पहिए में रेफ्लेक्टर लगाकर आप अपनी उपस्थिति कम रौशनी में भी औरों तक बता सकते हैं।
घंटी का इस्तेमाल करें
कोहरे में चलते समय अक्सर घंटी बजाते रहें। अंधेरे में भी अपनी मौजूदगी का इससे आप आभास कराते रहेंगे।
साइड मिरर का इस्तेमाल करें
पीछे से आ रहे वाहनों के रेले को देखने के लिए साइड मिरर का इस्तेमाल करें।
पैदल पार करें
अगर किसी रेड लाइट या रेलवे क्रॉसिंग पर आपको सड़क पार करनी है तो साइकिल से उतरकर पैदल पार करें। इससे आप यकायक आ जाने वाले किसी वाहन से ज्यादा सुरक्षित रहेंगे।
सड़क हादसे और उनसे होने वाली मौतों से पूरी दुनिया हलकान है। कुछ देशों ने वैज्ञानिक तरीके से यातायात सुरक्षा पर काफी हद तक काबू पाया है। भारत में कुल सड़क हादसों में खराब वाहनों की अहम हिस्सेदारी है। लंबे समय तक वाहन की देखभाल न होने से यात्रा के समय अचानक किसी कल-पुर्जे में खराबी मौत को दावत दे देती है। जरा सी सावधानी और समय से वाहनों की फिटनेस की जांच कराकर हम इस समस्या से बच सकते है।
कहां होती हैं लापरवाही
टायर
कम हवा : वाहन में कम हवा होने से टायर फट सकता है।
ज्यादा हवा : ज्यादा हवा होने से भी टायर फट सकता है।
कमजोर टायर : कमजोर टायर रफ्तार में चलने के समय फट सकता है।
घिसे टायर: इससे वाहन के फिसलने और ब्रेक न लगाने पर भी घिसट जाने की आशंका बनी रहती है।
सुझाव
10-15 दिन में वाहनों में हवा का परीक्षण कराएं।
टायर घिसने से पहले उसे बदलवा दें।
क्षतिग्रस्त टायरों के इस्तेमाल से परहेज करें।
जिस टायर की तार टूटी हो उसको बदलवा दें।
ब्रेक में खराबी
कड़ा ब्रेक: कम दवाब पर ब्रेक लगने से दुर्घटना।
ढीला ब्रेक : ब्रेक न लगने पर वाहन के टकराव का खतरा।
ब्रेक लाइन : ब्रेक लाइन के टूटने से ब्रेक फेल होने का खतरा।
एंटी लॉक सिस्टम : इस सिस्टम के फेल होने से दुर्घटना का खतरा।
सुझाव
वाहन की नियमित रूप सेमैकेनिक से जांच करायें।
40 हजार किमी गाड़ी चलाने पर ब्रेक पैड सिस्टम को दुरुस्त करा लें।
मोटरसाइकिल में ब्रेक वायर को बदलें या आयलिंग कराए।
वाहन चलाने में जो परेशानी आए उसे समय रहते सुधार कराए।
स्टीयरिंग और सस्पेंशन
नियंत्रण खोना : इस समस्या से चालक का वाहन से नियंत्रण खो जाता है।
स्टीयरिंग फेल : स्टेर्यंरग फेल होने से भीषण हादसे की आशंका होती है।
स्टीयरिंग लॉक : वाहनों में कभी-कभी स्वत: स्टीयरिंग लॉक हो जाती है। जो भीषण हादसे की वजह बन सकती है।
सस्पेंशन : सस्पेंशन खत्म होने की वजह स्टीयरिंग सिस्टम फेल हो जाता है।
सुझाव
सबसे पहले वाहन की नियमित जांच कराएं।
वाहन में पे्रशर और सस्पेंशन की जांच कराना न भूलें।
इंजन से जुड़ी समस्याओं को बिल्कुल भी न टालें।
ऑटोमैटिक स्टीयरिंग सिस्टम की जांच कराते रहें।
साइड शीशा व वाइपर
सामने और पीछे ट्रैफिक को देखने में इनका अहम रोल होता है।
साइड शीशा होने पर भी लोग इस्तेमाल नहीं करते हैं।
खराब वाइपर लगे वाहन दिक्कत का सबब हैं।
सुझाव
वाहन चलाते समय साइड शीशे का प्रयोग करें।
टूटे और आधे शीशे को तुरंत बदलवाएं।
वाइपर की मोटर और ब्रश दोनों को जांचते रहें।
वाइपर ब्रश और शीशे दोनों की सफाई करते रहें।
हेड लाइट- बैक लाइट
इन लाइटों के खराब होने से रात में हादसा होने का खतरा कई गुना बढ़ता है।
टूटी लाइटें : हेड लाइट- बैक लाइट टूटी होना खतरनाक है।
वाहन की बैट्री खराब होने पर भी लाइटें नहीं जलेंगी।
सुझाव
कम दृश्यता, कोहरे और खराब मौसम में हेड लाइट और बैक लाइट जलाकर रखें।
लाइट चालू रखने से आगे और पीछे के लोगों को आपका वाहन दिखेगा।
लाइट जलाने के लिए समय रहते गाड़ी की बैट्री चार्ज करा लें।