यूनिटेक मामले में एनसीएलटी को लेनी चाहिए थी अनुमति: सुप्रीम कोर्ट
केंद्र की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें एक दिन की मोहलत दी जाए, जिससे संबंधित अथॉरिटी से वह दिशा निर्देश हासिल कर सके।
नई दिल्ली, प्रेट्र। यूनिटेक का प्रबंधन केंद्र को सौंपने के एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने तल्ख लहजे में कहा कि ट्रिब्यूनल को इस तरह का आदेश पारित करने से पहले उनके संज्ञान में मामला देकर अनुमति लेनी चाहिए थी।
केंद्र की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें एक दिन की मोहलत दी जाए, जिससे संबंधित अथॉरिटी से वह दिशा निर्देश हासिल कर सके। बुधवार को फिर से मामले की सुनवाई की जाएगी।
मंगलवार को रियल एस्टेट फर्म की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार किया कि उसके बैंक खाते सील हैं और जेल में बंद उसके निदेशकों को शीर्ष अदालत के निर्देशानुसार 750 करोड़ रपए जमा करने में कठिनाई आ रही है। कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आठ दिसंबर को कंपनी कानून के प्रावधान लागू करते हुए केंद्र सरकार को यूनिटेक लि. का प्रबंधन अपने हाथ में लेने तथा फर्म के बोर्ड में अपने निदेशकों को नियुक्त करने की अनुमति दे दी थी।
यूनिटेक की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने सोमवार को कहा था कि पूरी फर्म का प्रबंधन सरकार ने अपने हाथ में ले लिया है और इसलिए अपील पर तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए। मंगलवार को कंपनी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए। उनका कहना था कि कंपनी के निदेशकों को एनसीएलटी ने सुनवाई का मौका ही नहीं दिया और इसे जब्त करने की कार्यवाही शुरू कर दी। उनका कहना था कि यह फैसला गलत तरीके से लिया गया, लिहाजा इस पर तत्काल रोक लगाई जानी चाहिए।
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