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दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण का मामला संविधान पीठ के हवाले, सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ करेगी विचार

राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली में नौकरशाहों पर किसका नियंत्रण होगा अब इसका फैसला सुप्रीम कार्ट की संविधान पीठ करेगी। सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने शुक्रवार को इस मामले को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेज दिया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 06 May 2022 06:51 PM (IST)Updated: Fri, 06 May 2022 06:59 PM (IST)
दिल्ली में नौकरशाहों पर किसका नियंत्रण होगा सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ यह निर्धारित करेगी। (File Photo)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संविधान पीठ तय करेगी कि दिल्ली में नौकरशाहों पर किसका नियंत्रण होगा। अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के मामले में केंद्र सरकार की चलेगी या दिल्ली सरकार की। सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने शुक्रवार को दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण का मामला विचार के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेज दिया है। कोर्ट ने संविधान पीठ को सिर्फ सेवाओं पर नियंत्रण के मसले का सीमित मुद्दा विचार के लिए भेजा है। मामले पर 11 मई को सुनवाई होगी।

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ये फैसला शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा, सूर्यकांत और हिमा कोहली की तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया। दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण मांगा है जबकि केंद्र का कहना है कि दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है वहां सेवाओं पर केंद्र का नियंत्रण होगा।

केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि प्रशासनिक सेवाओं में नियंत्रण का मुद्दा पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को विचार के लिए भेजा जाना चाहिए क्योंकि इसमें अनुच्छेद 239एए(3)(ए) के संवैधानिक प्राविधानों की समग्र व्याख्या किये जाने की जरूरत है। हालांकि दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार की ओर से मामला संविधान पीठ को भेजने की केंद्र सरकार की मांग का जोरदार विरोध किया गया था।

दिल्ली सरकार का कहना था कि संविधान पीठ अपने पूर्व फैसले में सारे पहलू स्पष्ट कर चुकी है और अब जो विवाद बचा है उसे तीन न्यायाधीशों की पीठ ही निपटा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने मामला संविधान पीठ को भेजे जाने के मुद्दे पर गत 27 अप्रैल को बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने मामला विचार के लिए पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजते हुए अपने आदेश में कहा कि सर्विस के मुद्दे को छोड़ कर बाकी सभी मुद्दों पर 2018 में संविधान पीठ फैसला दे चुकी है इसलिए उन मुद्दों पर संविधान पीठ को दोबारा विचार करने की जरूरत नही है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान पीठ ने 2018 के फैसले में अनुच्छेद 239एए की व्याख्या करते समय राज्य सूची की प्रविष्टि 41 के बारे में और उसके प्रभाव की विशेष रूप से व्याख्या नहीं की थी इसलिए इस सीमित मुद्दे को विचार के लिए संविधान पीठ को भेजा जा रहा है। कोर्ट ने रजिस्ट्री को आदेश दिया है कि पांच सदस्यीय संविधान पीठ के गठन के लिए अपीलों और दस्तावेजों को प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए। कोर्ट ने कहा कि वह मामले को 11 मई को सुनवाई पर लगा रहे हैं और उस दिन कोई पक्षकार सुनवाई स्थगन की मांग न करे। 


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