केजरीवाल सरकार ने अपने वादे से मुंह मोड़ा, बिजली कंपनियों पर मेहरबानियां
पानी माफ और बिजली हाफ के वादे के साथ AAP ने दिल्लीवासियों का समर्थन हासिल करके सरकार बनायी, लेकिन अब सरकार बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाती दिख रही है।
नई दिल्ली, [संतोष कुमार सिंह]। बिजली की नई वार्षिक दरों को लेकर दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) और दिल्ली सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हों, लेकिन इससे उपभोक्ताओं के हाथ निराशा ही लगी है, क्योंकि इसमें उपभोक्ताओं से ज्यादा बिजली कंपनियों और दिल्ली सरकार का ध्यान रखा गया है। बिजली की कीमत में कमी कर जहां सरकार ने अपने ऊपर से सब्सिडी का बोझ कम कर लिया है। वहीं, पेंशन फंड के लिए उपभोक्ताओं से वसूली जारी रखकर और स्थायी शुल्क में भारी भरकम बढ़ोतरी कर बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के हित का ध्यान रखा गया है। इसके साथ ही उनके घाटे की भरपाई के लिए भी उपभोक्ताओं से उनके बिल पर आठ फीसद की दर से वसूली जारी है।
वादा तो पानी माफ, बिजली हाफ का था...
पानी माफ और बिजली हाफ के वादे के साथ दिल्लीवासियों का समर्थन हासिल करने वाली आप सरकार अपने वादों पर खरा नहीं उतर रही है। पिछले वर्ष से ही दिल्ली विद्युत बोर्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन का भार डिस्कॉम के बजाय उपभोक्ताओं से उपकर के रूप में वसूला जा रहा है। इसे भी अब 3.7 फीसद से बढ़ाकर 3.8 फीसद कर दिया गया।
छह गुना तक बढ़ा स्थायी शुल्क
इसके साथ ही नया मीटर, लोड बढ़ाने के नाम पर भी लोगों से शुल्क वसूला जा रहा है। लेकिन, सबसे बड़ा झटका वर्ष 2018-19 के लिए घोषित टैरिफ में स्थायी शुल्क में बढ़ोतरी करके दिया गया है। इसमें लगभग छह गुना तक बढ़ोतरी की गई है। सबसे ज्यादा नुकसान कम बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं को होगा।
तीन किलोवाट लोड वाला उपभोक्ता यदि प्रति माह दो सौ यूनिट बिजली खर्च करता है तो उसे इस समय बिजली शुल्क और स्थायी शुल्क मिलाकर 505 रुपये देना पड़ता है, वहीं अब उसे 720 रुपये चुकाने होंगे। हालांकि, कुछ उपभोक्ताओं को इससे लाभ भी जरूर होगा।
1510 करोड़ का अतिरिक्त भार
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन का कहना है कि बिजली के फिक्स चार्ज की बढ़ोतरी के कारण बिजली उपभोक्ताओं पर 1510 करोड़ का अतिरिक्त भार पड़ेगा। केजरीवाल सरकार ने अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए गरीबों की जेब पर डाका डाला है।
डिस्कॉम को फायदा पहुंचा रही AAP सरकार
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा- आम आदमी पार्टी डिस्कॉम के खातों की जांच कराने और लोगों को सस्ती बिजली देने का वादा कर सत्ता में आई थी, जिसे वह भूल गई। पहले सब्सिडी देकर और अब इसके साथ स्थायी शुल्क में भारी बढ़ोतरी कर डिस्कॉम को फायदा पहुंचाया जा रहा है।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि दिल्ली की जनता को अब ज्यादा बिजली बिल चुकाने होंगे। सरकार व डीईआरसी लोगों को गुमराह कर रही हैं। उपभोक्ताओं के हित में स्थायी शुल्क में बढ़ोतरी को तुरंत वापस लेना चाहिए।
जनता के साथ धोखा
यूनाइटेड रेजिडेंट पर ऑफ दिल्ली के महासचिव सौरव गांधी ने इसे जनता के साथ धोखा बताया। उन्होंने कहा, जनसुनवाई के तुरंत बाद टैरिफ की घोषणा जनता के साथ धोखा है। उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाने वाला टैरिफ पहले से तैयार था। डिस्कॉम को लाभ पहुंचाने के लिए स्थायी शुल्क में बढ़ोतरी की गई है।
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DERC अनुसार-नई दरों से-
बिजली कम्पनियों की सालाना कमाई 20,667 से बढ़ कर 22,079 करोड़ हो जाएगी!
सरचार्ज 3.70%से बढ़कर 3.83% होने से 694 से 792 करोड़ बढ़ेगा!
कम्पनियाँ 1510 करोड़ ज़्यादा कमाएँगी और AAP कहते हैं-दरें कम हो गई? pic.twitter.com/2wNQmbGkaW— Ajay Maken (@ajaymaken) March 29, 2018
नॉर्थ दिल्ली रेजिडेंट वेलफेयर फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक भसीन कहते हैं, डिस्कॉम को करोड़ों रुपये का लाभ पहुंचाने के लिए उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डाला गया है। स्थायी शुल्क में बढ़ोतरी और पेंशन उपकर वापस लिया जाए।
व्यावसायिक उपभोक्ताओं का बी बढ़ेगा बिल
10 किलोवाट तक के व्यावसायिक उपभोक्ताओं को 115 के बजाय 250 रुपये तथा औद्योगिक उपभोक्ताओं को 100 की जगह 250 रुपये प्रति किलोवाट प्रति माह स्थायी शुल्क देना होगा। व्यावसायिक उपभोक्ताओं को 8.80 रुपये प्रति यूनिट के बजाय 8.00 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करना होगा।
बिजली कंपनियों को नहीं होगी पैसे की कमी
बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) भारी नुकसान का दावा करते हुए बिजली की दरों में 30 फीसद की बढ़ोतरी की मांग कर रही थी। वहीं, डीईआरसी का कहना है कि घोषित टैरिफ से अगले वित्त वर्ष में डिस्कॉम को 437 करोड़ की अतिरिक्त आय होगी।