देश में मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए बढ़ेंगी डॉप्लर रडार की संख्या
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने वर्ष-2025 तक देश में इन्हें स्थापित करने का लक्ष्य रखा है।
नोएडा [नोएडा]। मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए 46 नए डॉप्लर रडार स्थापित किए जाएंगे, जोकि इनकी संख्या बढ़कर 75 हो जाएगी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने वर्ष-2025 तक देश में इन्हें स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। यह जानकारी आइएमडी के अतिरिक्त महानिदेशक (उपकरण) डॉ. देवेंद्र प्रधान ने राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (एनसीएमआरडब्लूएफ) में आयोजित अतिविषम मौसम और जलवायु पर आयोजित कार्यशाला में दी।
उन्होंने बताया कि अभी आइएमडी के 24, इंडियन एयरफोर्स के तीन व भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आइआइटीएम) पुणो के दो डॉप्लर रडार स्थापित हैं। जल्द ही उत्तर पश्चिम हिमालय के लिए 10 एक्स बैंड डॉप्लर रडार, मैदानी इलाकों के लिए 11 सी बैंड डॉप्लर रडार, उत्तर-पूर्व राज्यों में 14 एक्स बैंड डॉप्लर रडार स्थापित किए जाएंगे, बाकी बचे रडार 2025 तक लगा लिए जाएंगे।
जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में लगाएंगे रडार
हिमालयी क्षेत्रों में यह रडार क्रमश: हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में लगाए जाएंगे। हिमालयी क्षेत्रों में डॉप्लर रडार लगाने की तैयारी शुरू भी कर दी गई है। जहां सी बैंड डॉप्लर रडार की कीमत करीब 11 करोड़ रुपये की है। वहीं, एक्स बैंड डॉप्लर राडार की कीमत 6 करोड़ है। इन्हें हैदराबाद की अस्त्र माइक्रोवेव प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से खरीदा जाएगा।
क्या है डॉप्लर रडार
डॉप्लर रडार मौसम की अतिसूक्ष्म तरंगों को भी कैच कर लेता है। जब अतिसूक्ष्म तरंगें किसी भी वस्तु से टकराकर लौटती हैं, तो यह रडार उनकी दिशा को आसानी से पहचान लेता है। ये राडार तरंगों को भांपकर मौसम संबंधी भविष्यवाणी करता है।
डॉ. देवेंद्र प्रधान (अतिरिक्त महानिदेशक (उपकरण), आइएमडी) का कहना है कि जब चक्रवात राडार की सीमा से 400 किलोमीटर के भीतर आता है। तब रडार से प्राप्त उच्च संकल्प छाया चित्रों से चक्रवात की स्थिति और पवन गति का पता लगाया जा सकता है। इसलिए भारत में डॉप्लर रडार की संख्या बढ़ाई जाएगी।
दिल्ली-एनसीआर में लगेंगे चार नए डॉप्लर रडार
दिल्ली-एनसीआर में मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए भी चार नए डॉप्लर रडार लगेंगे। वहीं देशभर में इंसेट 3 डी, 3 आर 3 एस उपग्रहों से भेजी गईं छाया चित्रों को प्राप्त करने के लिए नए स्टेशन स्थापित होंगे। साथ ही अति उच्च क्षमता वाले कम्प्यूटर खरीदे जाएंगे। रेडियो सैंडो स्टेशन की संख्या 75 की जाएगी। इन स्टेशनों से सुबह व शाम गुब्बारा नुमा उपकरण छोड़कर तापमान, वायु दाब, आद्र्रता, हवा की गति, हवा की दिशा, बादलों की ऊंचाई की जानकारी प्राप्त की जाती है।