'Smog' सीजन से पहले तैयार किया गया नया मॉडल, Air pollution का पूर्वानुमान लगा बचाएगा जान
प्रदूषण की भविष्यवाणी करने वाला एक सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया है जो सर्दियों के मौसम में तापमान में पाई जाने वाली विविधता का पता लगाकर अनुमान लगता है कि वायुमंडल में हवा की स्थित
नई दिल्ली, प्रेट्र। पिछले कुछ वर्षो से उत्तरी भारत के राज्यों में 'स्मॉग' बढ़ने से श्वास संबंधी मरीजों की संख्या तो बढ़ ही रही है। साथ ही इसके कारण होने वाले सड़क हादसे भी चिंता का सबब बने हुए हैं। अब स्मॉग का सीजन आने में कुछ ही महीने शेष रह गए हैं, लेकिन इससे निपटना अभी भी एक चुनौती है। हालांकि, अमेरिका और चीन के वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने एक ऐसा नया कंप्यूटर मॉडल विकसित किया है जो वायु प्रदूषण(Air pollution) के स्तर का सटीक पूर्वानुमान लगा सकता है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि यह मॉडल भारत समेत अन्य देशों के लिए कारगर सिद्ध हो सकता है जहां वायु प्रदूषण से स्थिति गंभीर हो जाती है। इस नए सांख्यिकी मॉडल (कंप्यूटर मॉडल) के बारे में शोध पत्रिका साइंस एडवांस में विस्तार से बताया गया है। इसमें महासागर से संबंधित कुछ विशेष जलवायु पैटर्न का उपयोग किया जाता है, जो उत्तरी भारत में सर्दियों में वायु प्रदूषण पर प्रभाव डालते हैं।
12 लाख लोगों की हुई मौत
पिछले कुछ वर्षो में भारत दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित देशों के रूप में उभरा है। यहां ज्यादातर शहरों में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) का स्तर 2.5 हो गया था। पिछले साल ही दिल्ली और कई अन्य उत्तर भारतीय राच्यों में पीएम स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक था। इस साल की शुरुआत में प्रकाशित स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में वायु प्रदूषण के कारण भारत में लगभग 12 लाख से अधिक लोग मारे गए।
बनाई जा सकती हैं प्रभावी योजनाएं
शोधकर्ताओं ने कहा कि नया मॉडल सर्दियों में वायु प्रदूषण की स्थिति का पूर्वानुमान लगाने में सरकार की मदद कर सकता है और इसके मुताबिक प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी योजनाएं बना सकती है और वायु प्रदूषण के स्तर में सुधार कर सकती है।
मॉडल बताएगा कैसी रहेगी हवा
अमेरिका में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड एप्लाइड साइंसेज मेंग गाओ ने कहा कि हमने प्रदूषण की भविष्यवाणी करने वाला एक सांख्यिकीय मॉडल विकसित किया है, जो सर्दियों के मौसम में तापमान में पाई जाने वाली विविधता का पता लगाकर अनुमान लगता है कि वायुमंडल में हवा की स्थिति कैसी रहेगी।
गोओ ने कहा कि सदिर्यो में समुद्र की सतह के तापमान और ऊंचाई वाले क्षेत्रों आधार पर नए मॉडल के जरिये सूचकांकों की गणना की जाती है। इसी के आधार पर नया मॉडल यह बता सकता है कि सर्दियों का वायु प्रदूषण गंभीर होगा या नहीं।
अलनीनो का असर
अध्ययन में पाया है कि अल नीनो और प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में बदलाव होने से उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का स्तर प्रभावित हो सकता है। वैज्ञानिकों की मानें तो अल नीनो की वजह से जंगलों की कार्बन डाई ऑक्साइड को सोखने की क्षमता प्रभावित हुई है।
यही नहीं इससे पूरी दुनिया में आग लगने की घटनाओं में इजाफा हुआ है, जिससे कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्र बढ़ती है। शोधकर्ता ने कहा कि भारत का पड़ोसी देश चीन वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है और भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों के रूप में उभर रहा है। हर साल यहां सर्दियों में स्मॉग बढ़ने से लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है।
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