कोरोना का संक्रमण फैलने से भी रोकेगा नेजल टीका, एम्स में होगा भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन का ट्रायल
भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के साथ मिलकर विकसित किया है। भारतीय दवा महानियंत्रक की कमेटी (एसईसी) द्वारा मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही इसके पहले चरण के ट्रायल शुरू होने की उम्मीद है।
रणविजय सिंह, नई दिल्ली। कोरोना के टीके के बाद अब देश में नेजल (नाक के रास्ते दिया जाने वाला) टीका लाने की तैयारी है। इस टीके को पहला स्वदेशी टीका कोवैक्सीन बनाने वाली भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के साथ मिलकर विकसित किया है। भारतीय दवा महानियंत्रक की सबजेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) द्वारा मंजूरी मिलने के बाद जल्द ही इसके पहले चरण के ट्रायल शुरू होने की उम्मीद है।
बताया जा रहा है कि एक बार टीके की दो बूंद देने के बाद इसे दोबारा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी इसका ट्रायल किया जाएगा। इसके अलावा पटना एम्स व पीजीआइ रोहतक में ट्रायल शुरू होने की उम्मीद है। ट्रायल में 12 साल से अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया जाएगा।
विशेषज्ञ कहते हैं कि यह टीका कोरोना की बीमारी से बचाव करने के साथ-साथ संक्रमण की रोकथाम में भी मददगार साबित होगा। इसलिए यह टीका कोरोना के खिलाफ जंग में बेहद निर्णायक साबित हो सकता है। इस टीके का फायदा यह है कि इंजेक्शन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नाक के जरिये ड्रॉप के रूप में दिया जा सकेगा।
एम्स के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. नीरज निश्चल ने कहा कि अभी जो टीके उपलब्ध हैं उन्हेंे मांसपेशियों में इंजेक्शन के माध्यम से लिया जाता है। यह टीका कोरोना से तो बचाता है, लेकिन किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करने के बाद दूसरों को संक्रमित करेगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। यही वजह है कि टीका लगने के बाद भी लोगों को मास्क पहनने की सलाह दी जा रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक नेजल टीके का फायदा यह है कि इससे शरीर में न्यूट्राइ¨जग एंटीबॉडी व टी-सेल इम्यूनिटी के अलावा श्वांस नली व नाक के आसपास के हिस्से में खास तरह की प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होने की उम्मीद है। इसलिए नाक के जरिये दिए जाने के कारण नेजल टीका कोरोना वायरस के शरीर में प्रवेश से बचा सकता है। इससे दूसरों में संक्रमण नहीं फैल पाएगा।