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इस पूर्व पीएम ने की थी विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत, बिग बी की भी होती है तारीफ

विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। इस दिन सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी के लिए अनूठे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 10 Jan 2019 12:01 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jan 2019 01:16 PM (IST)
इस पूर्व पीएम ने की थी विश्व हिंदी दिवस की शुरुआत, बिग बी की भी होती है तारीफ

नई दिल्ली [सुधीर कुमार पांडे्य]।  विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Day) मनाने की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह ने एक दशक पहले 10 जनवरी, 2006 को की थी, तभी से हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। हर साल मनाए जाने वाले विश्व हिंदी दिवस का असल मकसद दुनियाभर में हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण बनाना और हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है। बता दें कि विदेशों में भारत के दूतावास इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं। इस दिन सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिंदी के लिए अनूठे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस कड़ी में अमेरिका के शहर ह्यूस्टन में पहली बार भारतीय कांसुलेट (वाणिज्‍य दूतावास) में विश्‍व हिंदी दिवस मनाया जाएगा। 

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10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas)  है तो हिंदी पर चर्चा स्वाभाविक है। कोई भी प्राणी जितना अपनी भाषा में सहज होता है, उतना किसी और भाषा में नहीं। अपनी भाषा के जरिये वह जिनता उन्नति कर सकता है, उतना किसी और भाषा के आश्रित होकर नहीं। अन्य भाषाओं पर भी अधिकार होना चाहिए, लेकिन अपनी भाषा को पीछे छोड़कर नहीं।

यही वजह है कि आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह भारतेंदु हरिश्चंद्र कहते हैं- 'निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।' यानी अपनी भाषा से ही उन्नति संभव है, क्योंकि यही सारी उन्नतियों का मूलाधार है। विभिन्न प्रकार की कलाएं, असीमित शिक्षा तथा अनेक प्रकार का ज्ञान सभी देशों से जरूर लेना चाहिए, लेकिन उनका प्रचार मातृभाषा में ही करना चाहिए।

महात्मा गांधी भी कहते हैं- 'राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है। राष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की शीघ्र उन्नति के लिए जरूरी है।'

आचार्य विनोबा भावे के मुताबिक, केवल अंग्रेजी सीखने में जितना श्रम करना पड़ता है। उतने श्रम में भारत की सभी भाषाएं सीखी जा सकती हैं। साहित्यकार तथा अन्वेषक जार्ज ग्रियर्सन का कहना है कि हिंदी आम बोलचाल की महाभाषा है। वहीं, अल्‍लामा इकबाल ने भी कहा है कि हिंदी हैं हम वतन है हिंदोस्‍ता हमारा।

ह्यूस्टन में भारतीय दूतावास में पहली बार मनेगा विश्‍व हिंदी दिवस

विश्‍व हिंदी दिवस का मकसद विदेश में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना है। अमेरिका के शहर ह्यूस्टन में पहली बार भारतीय कांसुलेट (वाणिज्‍य दूतावास) में विश्‍व हिंदी दिवस मनाया जाएगा। इसका दायित्‍व ह्यूस्टन में रह रहीं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. कविता वाचक्नवी को सौंपा गया है। उन्‍होंने बताया कि इसके लिए उन्‍होंने लगभग बीस विद्यार्थियों को तैयार किया है, जो हिंदी में हिंदी के विषय में बोलेंगे। उन्‍होंने अपने ब्लॉग में लिखा हैं- 'अमेरिका के जिस नगर में मैं रहती हूं, उसमें न्यूयार्क से इतर सर्वाधिक भारतीय रहते हैं। यह स्वयं में लघु भारत ही है। किंतु हिंदी के अकादमिक अध्ययन की विद्यालय और विश्व विद्यालयीय व्यवस्थाओं में से भारतीय लगभग गायब हैं। पूरे अमेरिका की लगभग यही स्थिति है।'

जो भाषा छोड़ देते हैं वे अपनी संस्‍कृति से दूर हो जाते हैं

भारत में दूतावासों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में काम करने आए विदेशियों को हिंदी सिखाने वाली पल्लवी कहती हैं- 'मेरे पास अपने देश के ऐसे लोगों के भी फोन आते हैं जो कहते हैं कि मेरे बच्चों को हिंदी सिखा दो। मुझे यह सुनकर बड़ा अजीब लगता है कि अपने ही देश के लोगो को हिंदी नहीं आती है। वे घर में भी हिंदी में बातचीत नहीं करते हैं। ऐसी स्थिति हिंदी के साथ ज्यादा है। आप कनाडा में जाइए, वहां आपको पंजाबी सुनने को मिलेगी। अपनी भाषा को सभी को सम्मान देना चाहिए। वह कहती हैं कि जो अपनी भाषा छोड़ देते हैं, वे अपनी संस्कृति भी छोड़ देते हैं। हमें अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए।'

हरियाणा सरकार ने कर दी है पहल

हाल ही में हरियाणा सरकार ने हिंदी को लेकर सकारात्मक पहल की है। हरियाणा सरकार ने आदेश दिया है कि सरकारी दफ्तरों में सारा काम हिंदी में होगा। टिप्पणियों व पत्राचार में हिंदी का प्रयोग किया जाए।

अमिताभ बच्चन हिंदी में भी करते हैं ट्वीट

अमिताभ बच्चन हिंदी में भी अक्सर ट्वीट करते हैं। विचारों का प्रवाह उनके ट्वीट में दिखता है। हरिवंश राय बच्चन जी की कविताएं, उनके कथन को भी वह अक्सर ट्विटर पर हिंदी में ही साझा करते हैं। हाल ही में उन्होंने जो ट्वीट किए उन्हें देखिए- वर्ष नव , हर्ष नव , जीवन उत्कर्ष नव ; नवल चाह नवल राह , जीवन का नव प्रवाह।

बाबूजी की एक कविता, जो शायद देश, काल, और समाज, की परिस्थितियों से दुखित हो , इस व्यंग्य को लिखा हो। व्यंग्य तीखा है, पर कहीं न कहीं , कवि की मन:स्थिति को अंकित करता है

आओ, नूतन वर्ष मना लें!

गृह-विहीन बन वन-प्रयास का

तप्त आँसुओं, तप्त श्वास का,

एक और युग बीत रहा है, आओ इस पर हर्ष मना लें!

आओ, नूतन वर्ष मना लें!

उठो, मिटा दें आशाओं को,

दबी छिपी अभिलाषाओं को,

आओ, निर्ममता से उर में यह अंतिम संघर्ष मना लें!

आओ, नूतन वर्ष मना लें !

हुई बहुत दिन खेल मिचौनी,

बात यही थी निश्चित होनी,

आओ, सदा दुखी रहने का जीवन में आदर्श बना लें!

आओ, नूतन वर्ष मना लें!

विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य

विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में हिंदी का प्रचार-प्रसार करना और जागरूकता फैलाना है। इसे अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में पेश करना है। हिंदी के विकास के लिए विश्व हिंदी सम्मेलनो की शुरुआत की गई और पहला विश्व हिंदी सम्मेलन वर्ष 1975 में दस जनवरी को नागपुर में आयोजित हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिंदी दिवस के रूप मनाए जाने की घोषणा की थी।

यह भी जानें

  •  विदेश में भारत के दूतावास विश्व हिंदी दिवस विशेष रूप से मनाते हैं। सरकारी कार्यालयों में हिंदी में व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं।
  •  पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी से 14 जनवरी 1975 तक नागपुर में आयोजित हुआ था। इसका बोधवाक्य था - वसुधैव कुटुंबकम।
  •  दूसरा विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीशस में हुआ। मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुई में 28 अगस्त से 30 अगस्त 1976 तक यह चला।
  •  विश्व हिंदी सम्मेलन देश की राजधानी दिल्ली में 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर 1983 तक किया गया।
  •  11वां विश्व हिंदी सम्मेलन अगस्त 2018 में मॉरीशस में आयोजित किया गया।
  • हर साल 14 सितंबर को 'हिन्दी दिवस' मनाया जाता है. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था।

यहां से निकली हिंदी

प्रख्‍यात भाषाविज्ञानी हरदेव बाहरी अपनी किताब (हिंदी भाषा) में लिखते हैं कि विकास के क्रम में भारतीय आर्यभाषा को तीन कालों में बांटा जाता है।

  •  प्राचीन (वैदिक संस्‍कृत और लौकिक संस्‍कृत)- 2000 ईसा पूर्व से 500 ईसा पूर्व
  •  मध्‍यकालीन (पालि, प्राकृत अपभ्रंश अवहट़ट)- 500 ईसा पूर्व से 1000 ईसवी तक
  •  आधुनिक (हिंदी और हिंदीतर भाषाएं - बांग्‍ला, उडि़या, असमी, मराठी, गुजराती, पंजाबी सिंधी आदि)-1000 ईसवी से।

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