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दो 'आप' विधायकों के बीच बैठे थे अंशु प्रकाश, अचानक बरसने लगे थप्पड़ व घूंसे

उत्तरी दिल्ली के एडिशनल डीसीपी हरेंदर सिंह के मुताबिक, वीके जैन, वैभव और विवेक यादव ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के खिलाफ बयान दिया है। पुलिस ने इन तीनों को सरकारी गवाह बनाया है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 14 Aug 2018 12:46 PM (IST)Updated: Tue, 14 Aug 2018 02:17 PM (IST)
दो 'आप' विधायकों के बीच बैठे थे अंशु प्रकाश, अचानक बरसने लगे थप्पड़ व घूंसे

नई दिल्ली (जेएनएन)। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ हुई मारपीट के मामले में पुलिस की ओर से दाखिल किया गया आरोप पत्र आम आदमी पार्टी के साथ केजरीवाल सरकार के लिए भी गले की फांस बन सकता है। चार्जशीट के बाद एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वीके जैन ने अपने बयान में कहा था कि विधायक अमानतुल्लाह खान व प्रकाश जारवाल ने मुख्य सचिव का गला दबाकर सात थप्पड़ व घूंसे मारे थे।

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केजरीवाल के करीबी देंगे उनके खिलाफ गवाही

आरोप पत्र का मूल आधार सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी वीके जैन का बयान है। वीके जैन के अलावा सीएम अरविंद केजरीवाल के करीबी ही उनके लिए मुश्किल हालात पैदा कर चुके हैं। 

उत्तरी दिल्ली के एडिशनल डीसीपी हरेंदर सिंह के मुताबिक, वीके जैन ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के खिलाफ बयान दिया है। पुलिस ने वीके जैन को सरकारी गवाह बनाया है। 

वीके जैन ने फोन कर अंशु प्रकाश को  बुलाया था

चार्जशीट के मुताबिक, वीके जैन के माध्यम से ही केजरीवाल ने मुख्य सचिव को 19 फरवरी की सुबह से देर रात तक बार-बार फोन करवाकर बैठक के बहाने अपने आवास पर बुलवाया था। मुख्य सचिव के मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाकर उसे भी आरोप पत्र में रखा गया है।

घटना के दूसरे दिन 21 फरवरी की सुबह सिविल लाइंस थाना पुलिस ने वीके जैन से थाने में बुलाकर पूछताछ की थी। इसके बाद पुलिस ने 22 फरवरी को मजिस्ट्रेट के सामने बंद कमरे में उनका बयान दर्ज करवा दिया था। बयान में उन्होंने घटना की पूरी सत्यता उजागर कर दी थी। तभी पुलिस ने उन्हें केस का मुख्य चश्मदीद गवाह बना लिया था।

पुलिस अधिकारी के अनुसार, प्रोटोकॉल के तहत मुख्य सचिव से केवल मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री ही पूछताछ कर सकते हैं और उन्हें बैठक के लिए बुला सकते हैं, लेकिन इस केस में मुख्य सचिव को बुलाने के बाद केजरीवाल ने उन्हें विधायकों के सवालों के जवाब देने को कहा था। ऐसा करना भी नियम के खिलाफ था। उन्हें सोफे पर दो विधायकों के बीच में बैठाना भी गलत था। इन सब बातों को भी आरोप पत्र में रखा गया है।

वीके जैन को छोड़ किसी ने स्वीकार नहीं की थी मुख्य सचिव से मारपीट की बात

मुख्य सचिव के साथ मारपीट मामले में दिल्ली पुलिस ने 25 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की थी। सबसे पहले मुख्यमंत्री के आवास पर हुई कथित बैठक में मौजूद रहे आप के 11 विधायकों और मुख्यमंत्री के तत्कालीन सलाहकार वीके जैन से पूछताछ की गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री के निजी सचिव विभव कुमार, मुख्यमंत्री आवास पर रहने वाले आप कार्यकर्ता, मुख्य सचिव के चालक व पीएसओ से पूछताछ की गई थी, लेकिन वीके जैन को छोड़कर सभी ने मुख्य सचिव से मारपीट की बात से इन्कार किया था, जबकि मेडिकल रिपोर्ट में मारपीट की पुष्टि हो गई थी।

एफएसएल की रिपोर्ट का भी जिक्र

मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ हुई बदसुलूकी व मारपीट की घटना के अगले दिन 20 फरवरी को पुलिस ने मुख्यमंत्री कार्यालय से संपर्क कर जांच के लिए सीसीटीवी कैमरे का डीवीआर (डिजिटल वीडियो रिकार्डस) देने की मांग की थी। कोई जवाब नहीं आने पर 23 फरवरी को मुख्यमंत्री आवास पहुंची पुलिस की टीम ने उस कमरे की जांच की थी जिसमें मुख्य सचिव की पिटाई की गई थी। जांच के दौरान पता चला था कि उस कमरे में सीसीटीवी कैमरा नहीं है। पुलिस टीम ने मुख्यमंत्री आवास में लगे अन्य सीसीटीवी कैमरों के डीवीआर की जांच की थी तो इनकी टाइमिंग 40 मिनट 42 सेकेंड पीछे मिली थी। मुख्यमंत्री आवास में कुल 21 सीसीटीवी कैमरे लगे थे, जिनमें सात खराब पाए गए थे। 14 कैमरे ठीक थे, जिनके डीवीआर जब्त कर पुलिस ने जांच के लिए रोहिणी स्थित फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) में भेज दिया था। पुलिस को शक था कि घटना को अंजाम देने से पूर्व जानबूझकर कैमरे की टाइमिंग और डीवीआर के साथ छेड़छाड़ की गई है। सवा चार महीने बाद एफएसएल की रिपोर्ट आई तो उसमें केवल इतना बताया गया था कि कैमरे की टाइमिंग 40 मिनट 42 सेकेंड पीछे थी। उनके साथ छेड़छाड़ की गई थी या नहीं, कब टाइमिंग पीछे सेट की गई, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। लिहाजा, पुलिस ने आरोप पत्र में इसको भी रखा है।

लगीं 13 धाराएं, अधिकतम सात साल सजा का प्रावधान

दिल्ली पुलिस ने मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री समेत 13 विधायकों पर भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की 13 धाराओं के तहत आरोप पत्र दायर किया है। इन धाराओं के तहत अधिकतम सात साल सजा का प्रावधान है। वारदात के समय पुलिस ने आठ धाराएं ही लगाई थीं, लेकिन जांच के बाद आरोप पत्र में पांच अन्य धाराएं भी जोड़ दी गईं। इनमें कई धाराएं गैर जमानती हैं। बावजूद इसके पुलिस ने मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री समेत नौ अन्य विधायकों को मामले में गिरफ्तार किए बगैर ही आरोप पत्र दायर कर दिया है। पुलिस अब कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद 11 आरोपितों को गिरफ्तार करेगी।

AAP का आरोप, मुख्य सचिव ने रचा षड्यंत्र

मुख्य सचिव से मारपीट मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल करने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने मुख्य सचिव पर आरोपों की झड़ी लगा दी है। आप के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश लंबे समय से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से जुड़े रहे हैं। दिल्ली की चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के लिए ही उनको दिल्ली में तैनात किया गया। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बदनाम करने और चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने का यह षड्यंत्र 19 फरवरी 2018 की रात को उपराज्यपाल के निवास पर रचा गया। मुख्य सचिव अंशु प्रकाश, उपराज्यपाल अनिल बैजल और वरिष्ठ पुलिस अफसर की मौजूदगी में पीएमओ के इशारे पर यह षड्यंत्र रचा गया।


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