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वैज्ञानिक ने तैयार किया ऐसा हेल्मेट जो सिर को सुरक्षित ही नहीं ठंडा भी रखेगा

इस हेल्मेट को एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (मटैरियल एंड डिवाइस) के वैज्ञानिक प्रो. वीके जैन ने तैयार किया है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 07:42 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 08:31 AM (IST)
वैज्ञानिक ने तैयार किया ऐसा हेल्मेट जो सिर को सुरक्षित ही नहीं ठंडा भी रखेगा

नोएडा (चंद्रशेखर वर्मा)। गर्मी के दिनों में सिर की सुरक्षा के लिए दोपहिया वाहन चलाने वाले हेल्मेट पहन तो लेते हैं, लेकिन पसीने से उनका हाल बुरा हो जाता है। इसके कारण कई लोग गर्मी में  हेल्मेट पहनने से कतराने भी लगते हैं। इस परेशानी का हल निकाला है एमिटी के वैज्ञानिक ने। उन्होंने एक ऐसा पैड तैयार किया है, जिससे हेलमेट का तापमान शरीर के तापमान के बराबर हो जाता है और गर्मी तथा पसीने से राहत मिल जाती है। इस पैड को आसानी से  हेल्मेट के नीचे रखा भी जा सकता है।

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इस हेलमेट को एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड रिसर्च एंड स्टडीज (मटैरियल एंड डिवाइस) के वैज्ञानिक प्रो. वीके जैन ने तैयार किया है। उन्होंने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि दोपहिया वाहन चलाने वाले गर्मियों के मौसम में  हेल्मेट पहनने से परहेज करते हैं, इसलिए यह विचार आया कि क्यों न ऐसा  हेल्मेट बनाया जाए, जो गर्मी में उन्हें राहत प्रदान कर सके। हमने ऐसा पैड बनाया, जिसे आसानी से  हेल्मेट में फिट किया जा सकता है। इसे  हेल्मेट के अंदर दो लेयरों के बीच में रखा जाता है। इससे  हेल्मेट का तापमान शरीर के तापमान के बराबर हो जाता है।

पैड में फेस चेंज नैनो कंपोजिट मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है। यह पदार्थ 45 से 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी प्रभावी तरीके से काम करता है। पैड में पदार्थ ठोस रूप में होता है। यह इस्तेमाल के समय दो घंटे तक काम करता है। दो घंटे बाद यह पदार्थ तरल में बदल जाता है। खास बात यह है कि इस्तेमाल के बाद इस पैड को बदलने की जरूरत नहीं होती।

 हेल्मेट को किसी छाया वाली जगह में आधे घंटे रखने पर मैटेरियल दोबारा ठोस में तब्दील हो जाता है। इससे समय और खर्च दोनों की बचत होती है। प्रो. जैन का कहना है कि पैड में इस्तेमाल किया जाने वाला पदार्थ पर्यावरण व शरीर के लिए पूरी तरह अनुकूल है। इसमें जिस टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है, वह बिल्कुल सुरक्षित है। इससे किसी भी तरह के हानिकारक पदार्थ का उत्सर्जन नहीं होता।

अभी इसे केवल प्रयोग के तौर पर बनाया गया है। कोई कंपनी अगर इस तकनीक पर दिलचस्पी दिखाए तो इसकी इस्तेमाल की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। यानी इसे एक बार में दो घंटे से ज्यादा के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रो. जैन बताते हैं कि यह पैड सैनिकों और कामगारों के लिए भी उपयोगी है।


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