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गाजियाबाद बॉर्डर पर किसानों के धरनास्‍थल के एक हिस्‍से को खाली कराने पहुंची पुलिस, जानें ताजा अपडेट

दिल्‍ली पुलिस गाजियाबाद पुलिस के साथ मिलकर NH-9 के एक हिस्‍से को खोल रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कोरोना मरीजों को लेकर आवाजाही कर रही एम्‍बुलेंस सेवाओं के संचालन में कोई बाधा न आए इसे लेकर यह कार्रवाई की जा रही है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 12:14 AM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 12:34 AM (IST)
गाजियाबाद बॉर्डर पर किसानों के धरनास्‍थल के एक हिस्‍से को खाली कराने पहुंची पुलिस, जानें ताजा अपडेट
दिल्‍ली पुलिस गाजियाबाद पुलिस के साथ मिलकर NH-9 के एक हिस्‍से को खोल रही है।

नई दिल्‍ली, जेएनएन/एजेंसियां। गाजियाबाद के यूपी गेट बॉर्डर पर बीते कई महीनों से नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर धरना दे रहे किसान नेताओं की जमीन खिसकती नजर आ रही है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर का डर वहां दिख रहा है। धरनास्‍थल पर किसानों की संख्‍या बेहद कम है। इस बीच दिल्‍ली पुलिस गाजियाबाद पुलिस के साथ मिलकर NH-9 के एक हिस्‍से को खोल रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि कोरोना मरीजों को लेकर आवाजाही कर रही एम्‍बुलेंस सेवाओं के संचालन में कोई बाधा न आए इसे लेकर यह कार्रवाई की जा रही है।  

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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने बताया कि दिल्ली पुलिस द्वारा बंद रोड खोला जा रहा है। जो पक्के बेरिकेड्स लगाए गए थे उन्हें दिल्ली पुलिस बुलडोजर से हटा रही है। दरअसल प्रशासन की प्राथमिकता है कि पिछले साढ़े तीन माह से धरने पर बैठे यह आंदोलनकारी कोरोना संक्रमण का शिकार न हो जाएं। यदि वे संक्रमित होते हैं तो दूसरे लोगों में भी संक्रमण तेजी के साथ फैलने का खतरा बना रहेगा। यही कारण है कि प्रशासन चाहता है कि इन किसानों का आंदोलन खत्म हो जाए और ये लोग वापस अपने घरों को चले जाएं। 

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जिस तरह से देश में महामारी फैल रही है उससे इसके और भी लोगों के संक्रमित होने का खतरा बना हुआ है। बीते दिनों किसान नेताओं ने कहा था कि सरकार उनका आंदोलन कोरोना के बहाने से खत्म करना चाहती है लेकिन उनकी यह कोशिश बेकार होगी। वैसे तो पहले ही संक्रमण को रोकने के लिए प्रदेशों में धारा 144 लगा दी गई है लेकिन दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानून को लेकर धरना देकर प्रदर्शन जारी है। किसान नेताओं से कई दौर की बातचीत के बाद भी कोई हल नहीं निकल सका है। 


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