Move to Jagran APP

जानिये- 3 साल में कितना बदल गए केजरीवाल, 'आप' में भी नहीं रही वो बात

दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) अब उसी दलदल में धंसती-फंसती नजर आ रही है, जैसा वह दूसरों दलों के बारे में कहती थी।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 30 Aug 2018 11:34 AM (IST)Updated: Thu, 30 Aug 2018 09:28 PM (IST)
जानिये- 3 साल में कितना बदल गए केजरीवाल, 'आप' में भी नहीं रही वो बात
जानिये- 3 साल में कितना बदल गए केजरीवाल, 'आप' में भी नहीं रही वो बात

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दशकों से भारतीय राजनीति में जाति का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। राज्यों की राजनीति के परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो राजनीतिक पार्टियों ने जाति को एक मुद्दा बनाकर अपने-अपने हित साधे हैं। ऐसे में अलग तरह की राजनीति करने का दावा कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) और इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल अब उसी दलदल में धंसते-फंसते नजर आ रहे हैं, जैसा वह दूसरे दलों के बारे में कहते थे। दरअसल, 2015 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कुछ ऐसे अजीब और जनमानस की सोच के विपरीत फैसले लिए, जिनसे उनमें वैकल्पिक राजनीति की उम्मीद देख रहे लोगों का विश्वास डगमगाने लगा था। तकरीबन तीन साल बाद केजरीवाल की नायक वाली छवि काफी धूमिल हो चुकी है।

loksabha election banner

जाति-क्षेत्रवाद को ध्यान में रख केजरीवाल ने दिल्ली में बांटे थे टिकट
खासकर धर्म और जाति की राजनीति से खुद को दूर रखने का दावा करने वाली AAP में हालात शायद इससे जुदा दिख रहे हैं। आतिशी मर्लेना से पहले आशुतोष के साथ भी ऐसी ही घटना हो चुकी है। AAP को कुछ दिनों पहले अलविदा करने वाले आशुतोष ने खुद यह बात स्वीकार की है। आशुतोष ने ट्वीट किया है कि उनके 23 वर्ष के पत्रकारिता के करियर में उन्हें कभी जाति के प्रयोग की जरूरत नहीं पड़ी, लेकिन पार्टी की तरफ से जब चुनाव लड़ना पड़ा तो मुझे इसके लिए कहा गया। मेरे विरोध के बावजूद मेरा सरनेम जोड़ा गया। जाहिर है कि ऐसा पार्टी आलाकमान की सहमति से ही हुआ होगा। 

आशतोष के ट्वीट ने खोली AAP की पोल
दरअसल, AAP नेता आशुतोष के ट्वीट ने अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे में अब एक सवाल यह भी उठ रहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में क्या अरविंद केजरीवाल ने जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर टिकट बांटे थे।

दरअसल, यह सवाल इसलिए भी उठा है कि आशुतोष ने खुद ट्वीट कर कहा है कि दिल्ली की चांदनी चौक सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान उनसे सरनेम लगाने के लिए कहा गया था। यानी चांदनी चौक सीट पर एक खास जाति को ध्यान में रखकर ही आशुतोष को अरविंद केजरीवाल ने टिकट दिया होगा।

कुछ ऐसा ही हाल नई दिल्ली सीट का भी लगता है। नई दिल्ली लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मीनाक्षी लेखी ने आम आदमी पार्टी के अशीष खेतान को तकरीबन 1 लाख 33 हजार वोटों से हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। यहां पर पंजाबी मतदाओं की संख्या ज्यादा है, इसीलिए शायद आशीष खेतान को टिकट दिया गया था। आशीष खेतान पंजाबी समुदाय से आते हैं। हालांकि, उन्होंने हाल ही में AAP से इस्तीफा दिया है।

नॉर्थ ईस्ट दिल्ली लोकसभा सीट से AAP ने आनंद कुमार को टिकट दिया था, लेकिन वे भाजपा उम्मीदवार और भोजपुरी के गायक मनोत तिवारी से 1 लाख 37 हजार वोटों हार गए थे। यहां पर AAP की ओर से क्षेत्रवाद का कार्ड खेला गया था, क्योंकि दोनों ही पूर्वांचल के रहने वाले हैं।

 

समीकरण की कड़ी में साउथ दिल्ली लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी ने कैप्टन देवेंद्र शेरावत को उम्मीदवार बनाया था, जिन्हें भाजपा उम्मीदवार रमेश बिधूड़ी ने 1 लाख 11 हजार वोटों से हराया था। बता दें कि यहां भी भाजपा गुर्जर उम्मीदवार के मुकाबले AAP ने जाट उम्मीदवार उतारा था।

केजरीवाल ने कहा था 'भाजपा के पास दो मोदी हैं तो मेरे पास दो गुप्ता'
इससे पहले इसी साल फरवरी महीने में इंदिरा गांधी स्टेडियम में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जाति कार्ड खेलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। केजरीवाल ने कहा था कि भाजपा के पास दो मोदी हैं और उनके पास दो गुप्ता। अब देश तय करे कि मोदी ईमानदार हैं या गुप्ता। केजरीवाल ने कांग्रेस और भाजपा दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और दोनों को वैश्य समाज का दुश्मन बताया था। यहां पर बता दें कि कुमार विश्वास के नाम को दरकिनार करके अरविंद केजरीवाल ने एनडी गुप्ता और सुशील गुप्ता को राज्यसभा में भेजने का फैसला किया था। इसके पीछे हरियाणा विधानसभा चुनाव में वैश्य वोटरों को बड़ा कारण बताया जा रहा है। ये दोनों मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं। 

जातीय गणित के मद्देनजर हरियाणा में सीएम उम्मीदवार घोषित किया
हरियाणा में चुनाव के लिए हालांकि, एक साल से ज्यादा का समय बचा है, लेकिन आम आदमी पार्टी मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष नवीन जयहिंद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है। बताया जा रहा है कि नवीन जयहिंद पर ब्राह्म्ण वोटरों के मद्देनजर दांव लगाया गया है। यहां पर बता दें कि सीएम उम्मीदवार के ऐलान के दौरान केजरीवाल ने 'पंडित नवीन जयहिंद' कहकर संबोधित किया था।

AAP का दांव गैर जाट पर है
दिल्ली से सटे हरियाणा की राजनीति बेशक जाट और गैर जाट के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। ऐसे में हरियाणा में केजरीवाल ने गैर-जाट पर दांव लगाया है। AAP ने नवीन जयहिंद को पंडित बताकर 8 फीसदी ब्राह्मण वोटरों पर निगाह गड़ाई है। हरियाणा में ब्राह्मण और पंजाबी जिनकी संख्या आठ फीसदी है एक साथ वोट करते हैं, जिसका फायदा AAP को मिल सकता है, वहीं, इसके अलावा 4 फीसदी वोट वैश्य भी है, जिस पर भी केजरीवाल की निगाह है।

भाजपा ने बोला हमला
वहीं दिल्ली भाजपा अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी ने AAP और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि केजरीवाल जाति और धर्म की राजनीति करने में सबसे आगे हैं। राजनीतिक लाभ के लिए आप नेता आतिशी का जातीय उपनाम हटाया गया है। प्रदेश भाजपा कार्यालय में प्रेसवार्ता के दौरान मनोज तिवारी ने कहा कि आम आदमी पार्टी कभी दिल्ली में सिखों, कभी मुसलमानों तो कभी ईसाईयों की धार्मिक भावनाओं को भड़काने का खेल खेलती रही है। दिल्ली में ईसाई चर्चों की बेअदबी, पंजाब में गुरु ग्रंथ साहिब से बेअदबी और बवाना उपचुनाव में मुस्लिम ध्रुवीकरण की अपील करने में आप नेताओं की भूमिका सामने आती रही है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली वालों ने देखा है कि किस तरह जाति की राजनीति के लिए आप नेता आतिशी ने अपना जातीय उपनाम हटाया है। पूर्व नेता आशुतोष के बयान से भी साबित हो गया है कि आम आदमी पार्टी किस तरह जातीय राजनीति को बढ़ावा देती है। क्योंकि 2014 के चुनाव में आशुतोष को अपना जातीय उपनाम सार्वजनिक करने के लिए बाध्य किया गया था। मनोज तिवारी ने कहा कि जातीय एवं धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले खेल को देख केजरीवाल ने दिल्लीवालों को पूरे देश में शर्मसार किया है। तिवारी ने कहा कि केजरीवाल देश की राजधानी के सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक वातावरण को दूषित करने से बाज आयें, नहीं तो अगले चुनाव में इसकी भारी कीमत चुकाने के लिए तैयार रहें। 

यह भी पढ़ेंः रूह कंपा देने वाली मर्डर मिस्ट्री का सच, जिसने करोड़ों लोगों के उड़ाए थे होश


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.