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...तो दिल्‍ली में नहीं लगाना होगा एंटी-पॉल्‍यूशन फेस मास्क, हाइड्रोजन ईंधन से बदलेगी तस्‍वीर

इसके इस्‍तेमाल से सीएनजी की गाड़‍ियों की तुलना में एच सीएनजी युक्‍त गाडि़यां 70 फीसद तक कम प्रदूषण करेंगी। इससे देश में प्रति व्‍यक्ति प्रदूषण की मात्रा में भी कमी आएगी।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 12:05 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 08:59 AM (IST)
...तो दिल्‍ली में नहीं लगाना होगा एंटी-पॉल्‍यूशन फेस मास्क, हाइड्रोजन ईंधन से बदलेगी तस्‍वीर

नई दिल्‍ली [ जागरण स्‍पेशल ]। राजधानी दिल्‍ली में हर साल ऐसे कई मौके आते हैं जब वायु प्रदूषण का स्‍तर इतना बढ़ जाता है कि लोगों को सांस लेने में मुश्किलें आने लगती है। इसके लिए लोग एंटी-पॉल्‍यूशन फेस मास्क का इस्‍तेमाल करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद यहां हाइड्रोजन ईंधन की संभावना तलाशी जा रही है। इसके इस्‍तेमाल के लिए सरकार की हरी झंडी मिल गई है। हालांकि, शुरुआत में दिल्‍ली में कुछ बसों को इस ईंधन से चलाकर देखा जाएगा। अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो भविष्‍य में एच-सीएनजी ईंधन से ही बसें चलेगी।

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तकनीकी विशेषज्ञों का यह मानना है कि गाड़‍ियों में ईंधन के तौर एच-सीएनजी का उपयोग किया जाना कम खतरनाक है। इसके अलावा य‍ह पर्यावरण के प्रदूषण को रोकता है। सीएनजी में 18 फीसद तक हाइड्रोजन की मात्रा होगी। इसके इस्‍तेमाल से सीएनजी की गाड़‍ियों की तुलना में H-CNG युक्‍त गाडि़यां 70 फीसद तक कम प्रदूषण करेंगी। इससे देश में प्रति व्‍यक्ति प्रदूषण की मात्रा में भी कमी आएगी। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर एच सीएनजी क्‍या है। इसके फायदे क्‍या हैं।

क्‍या है H-CNG

1- H-CNG यानी हाइड्रोजन मिश्रित कंप्रेस नेचुरल गैस। इस ईंधन को सीएनजी में हाइड्रोजन मिलाकर तैयार किया जाता है। इसे भविष्‍य के ईंधन के रूप में देखा जा रहा है।

2- सीएनजी में मीथेन मुख्‍य गैस होती है। लेकिन सीएनजी से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम का उत्‍सर्जन भी होता है। हालांकि, पेट्रोल व डीजल की तुलना में ये काफी कम होता है।

3- H-CNG के इस्‍तेमाल से वाहनों से होने वाले प्रदूषण में 70 फीसद तक कमी होने की उम्‍मीद है।

4- दरअसल, हाइड्रोजन एक रंगहीन और गंधहीन गैस है, जो पर्यावरण के काफी अनुकूल है। वाहन के अलावा बीजली उत्‍पादन के क्षेत्र में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

5- हाइड्रोजन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि र्इंधन में प्रति ईकाई द्रव्‍यमान ऊर्जा इस तत्‍व में सबसे ज्‍यादा है। इसके अलावा यह चलने के बाद उप-उत्‍पाद के रूप में जल का उत्‍सर्जन करता है। इसके लिए ये न केवल ऊर्जा क्षमता से युक्‍त है, बल्कि यह पर्यावरण के लिए काफी अनुकूल है।

कैसे बनती है एच सीएनजी

H-CNG बनाने के लिए हाइड्रोजन और सीएनजी को मिश्रित किया जाता है। इसके लिए सीएनजी तो सुलभ ईंधन है, लेकिन हाइड्रोजन का उत्‍पादन करना होता है। हालांकि, हाइड्रोजन के उत्‍पादन में लागत सीएनजी की तुलना में कहीं ज्‍यादा है। कई प्रक्रियाओं के जरिए हाइड्रोजन का उत्‍पादन किया जा सकता है। इसमें पहली तकनीक है इलेक्‍ट्रोलाइसिस। इसमें पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का पृथक्‍करण किया जाता है। इस प्रक्रिया से जो हाइड्रोजन प्राप्‍त होती है उसे सीएनजी के साथ मिलाकर वाहनों के लिए ईंधन तैयार किया जाता है। इस ईंधन के भंडारण के लिए एक स्‍टेशन बनाया जाता है, जिसमें कंप्रेसर के साथ स्‍टोरेज सुविधा हाेती है।

क्‍या होगा लाभ

1- इसके लिए देश में मौजूदा सीएनजी के बुनियादी ढांचे का इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

2- इस ईंधन के इस्‍तेमाल के कई फायदे हैं। इसके न केवल वाहनों की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि सीएनजी के मुकाबले प्रदूषण का उत्‍सर्जन भी कम होगा।

3- इसके इस्‍तेमाल से वाहनों में नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्‍सर्जन में 50 फीसद तक कमी आएगी। इसके अलावा  कार्बन मोनो ऑक्साइड के उत्‍सर्जन में भी भारी कमी होगी।

4- इस ईंधन के प्रयोग से प्रदूषण में कमी के साथ ही वाहनों का माइलेज भी तीन से चार फीसद तक बढ़ जाएगा। खासबात यह है कि इसके लिए वाहनों के ईंजन में बड़े बदलाव की भी जरूरत नहीं है, मामूली बदलाव से यह संभव है।

5- भारत में किए गए एक अध्‍ययन के मुताबिक अगर छोटी गाडि़यों में H-CNG का इस्‍तेमाल किया जाए तो कार्बन मोनो ऑक्साइड के उत्‍सर्जन 45 फीसद की कमी आएगी, जबकि हाइड्रोकार्बन की उत्‍सर्जन में 35 फीसद की। वहीं यदि इस ईंधन का बड़ी गाडि़यों में किया जाए कार्बन मोनो ऑक्साइड के उत्‍सर्जन में 28 से 30 फीसद की कमी आएगी।

विदेशों में भी हो रहा है प्रयोग

भारत में ही नहीं इस ईंधन का इस्‍तेमाल दुनिया के कई विकसित मुल्‍कों में भी हो रहा है। इसे एक स्‍वच्‍छ और भविष्‍य के वैकल्पिक ईंधन के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, विदेशों में भी यह ईंधन पायलट प्रोजेक्‍ट के रूप में चल रहा है। इसकी तकनीक काफी महंगी है, इसके चलते यह ईंधन उस तरह से उपयोग में नहीं लाया जा रहा है।

क्‍या हैं चुनौतियां

यदि पूरे देश में H-CNG ईंधन के इस्‍तेमाल की तैयारी की जाए तो उसके लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। हाइड्रोजन के उत्‍पादन में अधिक लागत आएगी। माना जाता है कि इस प्रक्रिया में जीवाश्‍म ईंधन के मुकाबले इस पर करीब तीन या चार गुना का अंतर आएगा। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद यह भविष्‍य का ईंधन साबित हो सकता है।


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