Earthquake in Delhi-NCR : दिल्ली की ऐतिहासिक इमारतें भूकंप झेलने के लायक नहीं, सहम जाते हैं लोग
Earthquake in Delhi-NCR दिल्ली में मंगलवार को फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए।
नई दिल्ली, स्पेशल डेस्क। Earthquake in Delhi-NCR : दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार की शाम को भूकंप के हल्के झटके महसूस किए गए। कुछ जगहों पर इसके तेज झटके भी महसूस किए गए तो कुछ जगहों पर कम। पुरानी दिल्ली की कई ऐतिहासिक इमारतों को लेकर विशेषज्ञ पहले ही यह आशंका जता चुके हैं कि ये हल्के भूकंप को भी नहीं झेल सकती हैं। मंगलवार को आए भूकंप के बाद एक बार फिर इन इलाकों में रहने वाले दहशत में है।
80 फीसदी इमारतें मानदंडों पर खरी नहीं
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरन्मेंट (सीएसई) पहले ही बता चुका है कि दिल्ली की 80 फीसदी इमारतें निर्माण के लिए तय मानदंडों पर खरी नहीं उतरतीं और अगर यहां हल्का या मध्यम दर्जे का भूकंप भी आता है तो भारी तबाही मच सकती है। सीएसई ने बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन के नियमों के उल्लंघन पर चिंता जताई है। इसके बाद डीडीए और नगर निगम को इसके लिए चेताया भी जा चुका है। उनकी ओर से ऐसे भवन मालिकों को नोटिस जारी किए गए हैं मगर कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया जा सका है। सीएसई के शोधकर्ता भी इस मामले में पहले ही कह चुके हैं कि दिल्ली में हल्का भूकंप भी बेहद खतरनाक साबित हो सकता है, क्योंकि यहां भवन निर्माण के तय मानदंडों का पालन नहीं किया गया है।
तेजेंद्र खन्ना कमेटी की रिपोर्ट भी करती है इसी ओर इशारा
सीएसई ने साल 2006 में गठित तेजेंद्र खन्ना कमेटी की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा गया है कि उनकी इस रिपोर्ट में भी साफ तौर पर कहा गया था कि 80 फीसदी निर्माण बिल्डिंग एंड डेवलपमेंट कंट्रोल रेग्युलेशन्स पर खरे नहीं उतरते। इस वजह से यदि भूकंप के हल्के से तेज झटके आए तो दिन में बड़ी तबाही देखने को मिलेगी। एक तो यमुना के खादर एरिया में बनी इमारतें उससे भी अधिक खतरनाक है क्योंकि यहां बलुई मिट्टी पर निर्माण किए गए हैं। सीएसई के अनुसार, अप्रैल 2011 में दिल्ली सरकार ने बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन को लेकर जो नियम बनाए थे, उसके बाद प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के आवेदनों में कमी आई है। इसकी वजह यह है कि यह नियम काफी सख्त थे और इसमें निर्माण प्रमाण पत्र हासिल करना कठिन था।