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Hindi Diwas 2019: हिंदुस्तान की संस्कृति है हिंदी: केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय

Hindi Diwas 2019 नई दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में शुक्रवार को दैनिक जागरण द्वारा आयोजित सान्निध्य कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय शामिल हुए।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 09:28 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 09:28 AM (IST)
Hindi Diwas 2019: हिंदुस्तान की संस्कृति है हिंदी: केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हिंदी हमारा प्राण है। दुनिया में 20 प्रतिशत से अधिक लोग हिंदी बोलने वाले हैं। वह भाषा ही होती है, जो अपना भाव बताए। भाषा और भाव वही है, जिसमें वास्तविकता है। हम जो चाहते हैं, उस भाव को अपनी भाषा में दिखा सकते हैं। हिंदी हिंदुस्तान का भाव है। हिंदुस्तान की संस्कृति है। हमारे जीन में हिंदी है। बाहरी आडंबरों के कारण चकाचौंध में खोते हुए भी मन हिंदी को ही स्वीकारता है।

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केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने जिनके पास राजभाषा विभाग भी है, शुक्रवार को दैनिक जागरण और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आइजीएनसीए) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम सान्निध्य का औपचारिक उद्घाटन करते हुए ये बातें कहीं। यह कार्यक्रम दैनिक जागरण की अपनी भाषा के लिए चलाई जा रही मुहिम 'हिंदी हैं हम' के अंतर्गत शुक्रवार को आइजीएनसीए में आयोजित किया गया। इस दौरान आइजीएनसीए के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी समेत अन्य वक्ताओं ने दिनभर हिंदी पर चर्चा की।

राय ने कहा, 'मुझे उस समय बड़ा गर्व हुआ, जब राष्ट्रपति के साथ तीनों देशों की यात्रा के दौरान विदेशियों से हिंदी में बातचीत की। हमें अपनी बातको हिंदी में अडिगता के साथ रखना चाहिए। स्वामी विवेकानंद ने कहा

था कि हिंदी हमारा स्वभाव, संस्कार, संस्कृति और धरोहर है। महात्मा गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह हिंदी को आदर दिया, विदेश में जिस तरह हिंदी का प्रयोग किया, उस पर हमें गर्व है। हिंदी वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सबसे उपयोगी भाषा है। इसके सबसे बेहतर उदाहरण ओम के उच्चारण के समय होने वाले ध्वनि प्रभाव और ध्वनि तरंगों से समझा जा सकता है।

दैनिक जागरण के प्रधान संपादक व मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय गुप्त ने कहा कि 'हिंदी हैं हम’ जागरण की ऐसी अनूठी पहल है, जिसमें हम भाषा के साथ-साथ हिंदी को देश की संस्कृति के रूप में पेश करते हैं। भाषा और संस्कृति एक-दूसरे के पर्यायवाची, एक-दूसरे के पूरक हैंर। हिंदी भाषा के समाचार पत्रों में दैनिक जागरण का अपना अलग स्थान है। बदलते समय के अनुसार समाज की परिस्थितियों को देखते हुए जागरण ने अपने का ढाला है। हमेशा से मेरा मानना रहा है कि हिंदी समाचार पत्रों को संस्कृति को बचाना है। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के समय इसके साथ जब मेरे बाबा जी जुड़े थे, तब से अब तक परिवार के लोगों का भी मानना रहा है कि हमें संस्कृति को बचाना है और संस्कृति के साथ जो भारतीयता है, उसे बढ़ावा देना है। हिंदी हैं हम, उसका छोटा सा प्रयास है।

इससे पूर्व नित्यानंद राय, सच्चिदानंद जोशी और संजय गुप्त ने दैनिक जागरण के संस्थापक स्वर्गीय पूर्ण चंद्र गुप्त व पूर्व प्रधान संपादक स्वर्गीय नरेंद्र मोहन की तस्वीर पर माल्यार्पण कर व दीप जलाकर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया। इस दौरान दैनिक जागरण की 75 साल की गौरवशाली यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ावों को भी प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया।


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