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मां का अरमान पूरा करने को बेटी बन गई देश की तीसरी महिला असिस्टेंट कमांडेंट

सौम्या ने प्रदेश की पहली महिला असिस्टेंट कमांडेंट बनने के बाद न केवल अपना सपना पूरा किया बल्कि जिले व प्रदेश की लड़कियों के लिए भी एक मिसाल कायम कर दी है।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 09:56 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 09:56 AM (IST)
मां का अरमान पूरा करने को बेटी बन गई देश की तीसरी महिला असिस्टेंट कमांडेंट

सोनीपत [अमित कौशिक]। सेक्टर-12 निवासी सौम्या ने बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) में प्रदेश की पहली व देश की तीसरी महिला असिस्टेंट कमांडेंट बनने का गौरव प्राप्त किया है। उन्होंने हरियाणा की पहली महिला कॉम्बैट (लड़ाकू) अधिकारी बनकर देश की अन्य लड़कियों के लिए भी एक मिसाल कायम की है। बचपन से ही सेना में जाकर देशसेवा का सपना संजोए 23 वर्षीय सौम्या ने स्कूल के समय से ही इसके लिए तैयारी शुरू कर दी थी।

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सौम्या की मानें तो अच्छी तालीम के बावजूद उनकी मां की सरकारी नौकरी नहीं लगी तो उन्होंने मां की इच्छा पूरी करने की ठानी। सौम्या की मां मंजू चौहान ने दिल्ली विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की मगर काफी संघर्ष के बावजूद उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिल सकी। सौम्या को अपना सपना पूरा करने के साथ ही अपनी मां के दबे अरमान को भी पूरा करना था। इसलिए उन्होंने महिला असिस्टेंट कमांडेंट का फैसला लिया।  इस दौरान कई मुश्किलात आईं, लेकिन आखिरकार सफलता मिल ही गई।

सौम्या 2016 में मुरथल स्थित डीसीआरयूएसटी से कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद संघ लोक सेवा आयोग की ओर से हुई केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल ऑफिसर भर्ती परीक्षा में बैठीं और पहले ही प्रयास में राष्ट्रीय स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया। फिलहाल वह ग्वालियर स्थित बीएसएफ अकादमी में ट्रेनिंग के लिए गईं हैं।

देश के विभिन्न हिस्सों से परीक्षा पास कर प्रशिक्षण के लिए गए समूह में सौम्या अकेली महिला हैं। कड़ी ट्रेनिंग के बाद वह देश की सीमा पर लड़ाकू अधिकारी के तौर पर तैनात होंगी, जिसके बाद उनका देशसेवा का सपना भी पूरा हो जाएगा।

सौम्या ने बताया कि बीएसएफ की वर्दी पहनते ही ऐसा लगता है कि भारत माता की रक्षा का जिम्मा मेरे कंधों पर आ गया है और मुझे इसे जी-जान लगाकर पूर्ण करना है। उन्होंने कहा कि वह ट्रेनिंग के दौरान पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर एक सैनिक के रूप में तमाम बारीकियां सीख रही हैं।

सौम्या के पिता कुलदीप चौहान गांव भिगान स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्रिंसिपल हैं और मां मंजू चौहान एक निजी स्कूल में अध्यापिका हैं। उनके पिता कुलदीप ने कहा कि सौम्या में बचपन से ही देशसेवा की भावना कूट-कूटकर भरी हुई है।

अन्य लड़कियों के लिए भी की मिसाल कायम

सौम्या ने प्रदेश की पहली महिला असिस्टेंट कमांडेंट बनने के बाद न केवल अपना सपना पूरा किया बल्कि जिले व प्रदेश की लड़कियों के लिए भी एक मिसाल कायम कर दी है। जिले व प्रदेश की लड़कियां पढ़ाई से लेकर खेलों में तो परचम लहरा ही रही हैं, अब देशसेवा में भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने लगी हैं। सौम्या के अधिकारी बनने पर उनकी रिश्तेदारों व आस-पड़ोस से लेकर साथ पढ़ने वाली लड़कियों को भी प्रेरणा मिली है और अब उनमें भी देशसेवा का जज्बा पैदा हुआ है।


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