हिमालय से समुद्र तक की दूरी महज 19 घंटे में होगी तय, जानिए कैसे भारत सरकार कर रही इसकी तैयारी
दिल्ली से कटरा का सफर लगभग छह जबकि दिल्ली से मुंबई तक का सफर करीब 13 घंटे में पूरा हो जाएगा। यह कहना है केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। हिमालय से समुद्र तक की दूरी निकट भविष्य में और कम होने वाली है। जल्द ही इस दूरी को महज 19 घंटे में तय किया जा सकेगा। दिल्ली से कटरा का सफर लगभग छह जबकि दिल्ली से मुंबई तक का सफर करीब 13 घंटे में पूरा हो जाएगा। जी हां, पढ़कर थोड़ी हैरत भले ही हो, लेकिन यह भरोसा केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने स्वयं दिलाया है।
दैनिक जागरण के वेबिनार में गडकरी ने दी जानकारी
सोमवार शाम दैनिक जागरण द्वारा आयोजित किए गए एक वेबिनार में गड़करी ने बताया कि दिल्ली- मुंबई एक्सप्रेस वे पर तेजी से काम चल रहा है। यह एक्सप्रेस वे बन जाने पर दोनों राज्यों के बीच की दूरी 220 कि.मी. तक घट जाएगी। तब लगभग 1,250 कि.मी. का सफर 12 से 13 घंटे में पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि इस एक्सप्रेस वे के बनने में ढाई से तीन साल का समय लगने का अनुमान है। इस पर हरित क्षेत्र, लॉजिस्टिक पार्क, एयरपोर्ट कनेक्टिविटी सहित सभी अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध होंगी।
दिल्ली से कटरा के बीच भी एक एक्सप्रेस-वे
इसी क्रम में गड़करी ने आगे बताया कि दिल्ली से कटरा के बीच भी एक एक्सप्रेस वे पर काम चल रहा है। यह वाया अमृतसर होगा। इस एक्सप्रेस वे के बन जाने पर भी करीब 150 किमी की दूरी घट जाएगी। मालूम हो कि अभी दिल्ली से कटरा तक की दूरी 727 कि.मी. है, लेकिन इस एक्सप्रेस वे के जरिए महज 575 कि.मी. की दूरी ही तय करनी होगी। एक अन्य महत्वपूर्ण जानकारी साझा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे का बचा हुआ निर्माण कार्य भी इसी साल दिसंबर तक हर हाल में पूरा कर लिया जाएगा।
दिल्ली में परिवहन सेवाएं चलाने का निर्णय राज्य सरकार पर छोड़ा
लॉकडाउन के दौरान मिल रही छूट के संदर्भ में दिल्ली की परिवहन सेवाओं को लेकर पूछे गए सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह निर्णय राज्य सरकार को करना है। उन्होंने ये भी कहा कि कोरोना का संक्रमण अभी थमा नहीं है, इसलिए एहतियात बरतना उतना ही जरूरी है। आवश्यक कार्य के लिए ही घर से बाहर निकलें, पानी पूरी खाने या सैर सपाटे के लिए नहीं। जरूरी कार्य के लिए निकलने वालों को परिवहन सेवाएं किस तरह उपलब्ध हो, इसे लेकर राज्य सरकार ही गाइडलाइन तय करेगी। मतलब अगर बसें चलनी हैं तो एक बस में 25 सवारी हों या इससे कुछ कम-ज्यादा।