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दिल्ली का खतरनाक औद्योगिक कचरा होगा डिजिटल, जानिए कैसे

देश में अब उद्योगों से निकलने वाले कचरे का सीपीसीबी डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करेगा। एक माह में सीपीसीबी 100 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची भी जारी करेगी।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 14 Jul 2018 01:29 PM (IST)Updated: Sat, 14 Jul 2018 01:29 PM (IST)
दिल्ली का खतरनाक औद्योगिक कचरा होगा डिजिटल, जानिए कैसे
दिल्ली का खतरनाक औद्योगिक कचरा होगा डिजिटल, जानिए कैसे

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली का खतरनाक औद्योगिक कचरा अब डिजीटल होगा। इससे न केवल कचरा निस्तारण की प्रभावी योजना तैयार करने में मदद मिलेगी। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) जल औद्योगिक कचरे का डिजिटल रिकॉर्ड बनाएगा। दिल्ली के बाद एनसीआर के अन्य शहरों और फिर देश की तमाम औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरे का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कचरे के साथ इन औद्योगिक इकाइयों का सारा रिकॉर्ड डिजिटल होगा। इससे औद्योगिक इकाइयों द्वारा निकाले जा रहे कचरे और उसके निस्तारण की प्रक्रिया पर नजर रखना आसान होगा।

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100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की जारी होगी रैकिंग

औद्योगिक कचरे का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करने के साथ ही, सीपीसीबी एक माह में देश के 100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों की रैंकिंग भी जारी करेगा। सीपीसीबी के मुताबिक, देश के 100 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों के आंकड़े जुटा लिए गए हैं। विभिन्न स्रोतों से ऐसे शहरों की आबादी, वहां पैदा हो रहा कचरा व उसका निस्तारण, वहां का एयर इंडेक्स, जल और वायु प्रदूषण रोकथाम की स्थिति तथा वहां के अस्पतालों में आने वाले मरीज व उनकी बीमारी में प्रदूषण के योगदान के बारे में पता किया गया है। इन सभी तथ्यों के आधार पर शहरों का स्कोर तैयार किया जा रहा है। इसी के आधार पर इनकी रैंकिंग तैयार की जाएगी। इसके आधार पर ही समस्या से निपटने की कार्ययोजना तैयार की जाएगी।

देश भर में 56 हजार औद्योगिक इकाइयां हैं सबसे खतरनाक

मौजूद आकंड़ों के अनुसार दिल्ली, एनसीआर सहित देश भर में 56,350 औद्योगिक इकाइयां हैं, जो आबोहवा को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहीं हैं। इन इकाइयों से अत्यधिक खतरनाक कचरे का उत्सर्जन होता है। इन पर अंकुश लगाने के लिए तमाम नियम होने के बावजूद हीलाहवाली का दौर जारी है।

एनआइसी की मदद से होगी ऑनलाइन निगरानी

सीपीसीबी ऑनलाइन निगरानी के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआइसी) की मदद रहा है। एनआइसी की मदद से ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार कराया जा रहा है, जिससे सभी औद्योगिक इकाइयों द्वारा रोजाना उत्पन्न किए जा रहे कचरे, उसे डंप करने के स्थान व उसके निस्तारण की प्रक्रिया पर ऑनलाइन नजर रखी जा सके। प्रदूषण रोकथाम के उपायों कितना अमल किया जा रहा है इसके आधार पर ही किसी औद्योगिक इकाई के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।

अमेरीका की मदद से दिल्ली में होगा प्रदूषण नियंत्रण

देश की राजधानी में बढ़ रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए दिल्ली सरकार अब अमेरिका से मदद लेगी। शुक्रवार को भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आइ जस्टर ने दिल्ली सचिवालय में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच प्रदूषण नियंत्रण सहित कई अन्य विषयों पर चर्चा हुई। केजरीवाल ने बताया कि प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने वाशिंगटन विश्वविद्यालय के साथ समझौता किया है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय प्रदूषण का रियल टाइम डाटा तैयार करेगा, जिससे दिल्ली में पूरे साल प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग के लिए तैयार हैं। हम विभिन्न क्षेत्रों में तकनीकी सहयोगी हो सकते हैं। इस पर अमेरिकी राजदूत ने कहा कि वह निश्चित रूप से इस दिशा में विचार करेंगे।


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