दिल्ली सरकार बनाम एलजी मामला: केजरीवाल सरकार की अर्जी पर जल्द सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट राजी
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2021 को चुनौती देने वाली अपनी याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने का आग्रह किया जो कि निर्वाचित सरकार पर दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्ति को बढ़ाता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली सरकार की जीएनसीटीडी (संशोधन) अधिनियम 2021 (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021) को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई को राजी हो गया है। दिल्ली सरकार बनाम एलजी(LG) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने दिल्ली सरकार की GNCTD (संशोधन) अधिनियम 2021 (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021) को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग पर सहमति जताई है।
दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने CJI के समक्ष इस मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने का आग्रह किया। अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के फैसले के विपरीत और अनुच्छेद 239एए के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (CJI) एन वी रमना ने कहा कि वो इसे देखेंगे।
क्या है मामला ?
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम, 2021 के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की है। दरअसल, दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021 के प्रभावी होने के बाद दिल्ली में 'सरकार' का मतलब उपराज्यपाल हो गया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी की गई एक अधिसूचना के मुताबिक, अधिनियम के प्रावधान 27 अप्रैल,2021 से प्रभावी हैं।
दरअसल, बीते 28 अप्रैल को दिल्ली में कोरोना संक्रमण से बिगड़ती स्थिति के बीच केंद्र सरकार ने दिल्ली में GNCTD कानून को अमल में लाने की अधिसूचना जारी कर दी थी। गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना में कहा गया था कि- 'राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की सरकार (संशोधन) अधिनियम 2021, 27 अप्रैल से अधिसूचित किया जाता है। अब दिल्ली में सरकार का अर्थ उपराज्यपाल है।
कोई कानून खुद नहीं बना सकेगी
दिल्ली सरकार दिल्ली विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंजूरी देने की ताकत अब उपराज्यपाल के पास आ गई है। इसमें यह भी प्रविधान किया गया है कि दिल्ली सरकार को कोई भी निर्णय लेने से पहले उपराज्यपाल से सलाह लेनी होगी। इसके अलावा दिल्ली सरकार अपनी ओर से कोई कानून खुद नहीं बना सकेगी।