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45 years since the Emergency: आपातकाल के दौरान 19 महीने तक जेल में रहे थे वीके मल्होत्रा

45 years since the Emergency मुझे आपातकाल के पहले दिन ही मसूरी से गिरफ्तार किया गया था। वहां से दिल्ली लाकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया। फिर यहां से अंबाला जेल।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 11:02 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 12:05 PM (IST)
45 years since the Emergency: आपातकाल के दौरान 19 महीने तक जेल में रहे थे वीके मल्होत्रा
45 years since the Emergency: आपातकाल के दौरान 19 महीने तक जेल में रहे थे वीके मल्होत्रा

राहुल चौहान। 45 years since the Emergency देश में 45 वर्ष पूर्व लगाए गए आपातकाल के दौरान हजारों लोगों को मीसा कानून के तहत जेल में डाल दिया गया था। इनमें ज्यादातर तत्कालीन जनसंघ (मौजूदा भाजपा) और समाजवादी नेता शामिल थे। इन्हें 19 माह तक तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने जेल में बंद रखा था। मुझे आपातकाल के पहले दिन ही मसूरी से गिरफ्तार किया गया था। वहां से दिल्ली लाकर तिहाड़ जेल भेज दिया गया। फिर यहां से अंबाला जेल।

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बाद में मुझे रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत पर चंडीगढ़ स्थित पीजीआइ के जेल वार्ड में रखा गया। जिस कमरे में मुझे रखा गया था उसमें मुझसे पहले जयप्रकाश नारायण जी बंद थे। उस कमरे की खिड़कियों और रोशनदान को सील कर दिया गया था। कमरे में कहीं से भी रोशनी नहीं आ सकती थी। जाते ही मैंने देखा कि कमरे तक पहुंचने के लिए तीन सुरक्षा घेरों को पार करना पड़ता था। डॉक्टर, नर्स, भोजन पहुंचाने वालों, सफाई कर्मचारियों व सुरक्षार्किमयों तक के साथ हमेशा इंटेलिजेंस के लोग रहते थे।

किसी भी प्रकार की बातचीत की अनुमति नहीं थी। जब मेरी पत्नी मुझसे मिलने जेल में जाती थीं तो हमारे बीच में 20 फीट लंबी टेबल रखकर मुलाकात कराई जाती थी। इस दौरान भी इंटेलिजेंस के तीन-चार लोग मौजूद रहते थे। मैं पत्नी के हाथों अटल जी को पत्र भेजता था और पत्र में अक्सर यह लिखता था कि हम लोग जेल में बंद हैं। इसलिए आप (अटल जी) सरकार से कोई समझौता मत करना। अंबाला जेल का सहायक सुपरिटेंडेंट एक कागज देने के लिए जब मुझसे मिलने आया तो उसने कहा खुलजा सिम-सिम और दरवाजे खुलते चले गए और वह वहां पहुंचा। एक माह तक न मैंने सूरज देखा, न चांद और न आकाश। जेल में मुझे पता चला कि यहां बंद रहने के दौरान आपातकाल के खिलाफ जयप्रकाश जी ने भूख हड़ताल कर दी थी।

उनको रिहा करने से पूर्व सरकार ने उनकी मृत्यु हो जाने की स्थिति में देश भर में संभावित आक्रोश का मुकाबला करने के लिए पूरे प्रबंध कर लिए थे। चंडीगढ़ पीजीआइ के जेल वार्ड में रहते हुए मैंने दो बार हाईकोर्ट में याचिका डाली और कहा कि मुझे कोई बीमारी नहीं है। अत: मुझे काल कोठरी से निकाला जाए। हाईकोर्ट ने पहले आदेश दिया कि मुझे प्रतिदिन एक घंटा बाहर घुमाया जाए और बाद में चंडीगढ़ जेल में भेज दिया गया। बाद में मुझे चंडीगढ़ जेल से हिसार जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। पूरे 19 महीने बाद जब सरकार ने सभी बंदियों को छोड़ा तब मेरी रिहाई हुई।


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