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समुद्र से निकले ये प्राकृतिक उत्पाद इस भयानक बीमारी के इलाज के लिए मददगार

सीएमएफआरआइ के निदेशक गोपालकृष्णन ने कहा, दवा का क्लिनिकल परीक्षण अंतिम चरण में है। परीक्षण संपन्न होने के बाद इस उत्पाद को बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 15 Feb 2018 02:33 PM (IST)Updated: Thu, 15 Feb 2018 03:07 PM (IST)
समुद्र से निकले ये प्राकृतिक उत्पाद इस भयानक बीमारी के इलाज के लिए मददगार
समुद्र से निकले ये प्राकृतिक उत्पाद इस भयानक बीमारी के इलाज के लिए मददगार

कोच्चि (प्रेट्र)। कोच्चि स्थित केंद्रीय समुद्री मत्स्य पालन अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआइ) का कहना है कि वह थाइरॉइड (घेंघा) की गड़बड़ी का इलाज करने के लिए जल्द ही दवा बाजार में लाने की तैयारी कर रहा है। यह दवा समुद्र से निकले उत्पाद से निर्मित होगी। सीएमएफआरआइ के निदेशक गोपालकृष्णन ने कहा,दवा का क्लिनिकल परीक्षण अंतिम चरण में है। परीक्षण संपन्न होने के बाद इस उत्पाद को बाजार में उपलब्ध कराया जाएगा। संस्थान इसकी तैयारियों में जुटा है।

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गोपालकृष्णन ने संस्थान द्वारा युवा शोधकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए आयोजित 21 दिवसीय शीतकालीन विद्यालय के समापन अवसर पर कहा, सीएमएफआरआइ प्राकृतिक समुद्री उत्पादों के व्यावसायीकरण के लिए कई कंपनियों से बात कर रहा है। हमारी कोशिश है कि यहां की प्रयोगशालाओं में विकसित उत्पादों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके।

सौंदर्य प्रसाधन के क्षेत्र में रखेगा कदम

उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान जल्द ही समुद्र जीवों के उपयोग से सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने की तैयारी में है। उन्होंने बताया कि समुद्री जीवों में कई तरह के पदार्थ मिलते हैं जिनका इस्तेमाल सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाने में हो सकता है। संस्थान ने इस बारे में काफी अध्ययन किया है। उम्मीद है कि आने वाले कुछ वर्षों में यह भी बाजार में उपलब्ध होगा।

गोपालकृष्णन ने बताया कि सीएमएफआरआइ पहले से ही मधुमेह, गठिया और कोलेस्ट्राल के इलाज के लिए समुद्री शैवाल आदि से दवा बना चुका है। उनके मुताबिक समुद्री जीवों से बने उत्पादों की मांग लगातार बढ़ रही है क्योंकि इनसे लोगों को फायदा हो रहा है। इससे उनका यकीन भी बढ़ रहा है। यही वजह है कि पिछले कुछ वर्षों में दवा के क्षेत्र में समुद्री अवयवों पर लगातार खोज हुई हैं। चूंकि समुद्री अवयव प्राकृतिक होते हैं इसलिए सेहत पर उनका विपरित असर न के बराबर होता है।

उन्होंने दावा किया कि सीएमएफआरआइ समुद्री जीवों पर शोध करने वाला भारत का प्रमुख अनुसंधान संस्थान है। यह बायो समुद्री जीवों से बायो सक्रिय अणु की खोज में काफी काम करा है। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान द्वारा विकसित चार खाद्य पदार्थों की बाजार में जबरदस्त मांग है।  


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