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टास्क फोर्स ने कोरोना मरीजों के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन को किया रिकमेंड, हिदायत भी दी

नेशनल टास्‍क फोर्स ने कोरोना वायरस से संक्रमित हाई र‍िस्‍क मामलों के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को रिकमेंड किया है। जानें कितनी कारगर है यह दवा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 23 Mar 2020 03:28 PM (IST)Updated: Mon, 23 Mar 2020 09:52 PM (IST)
टास्क फोर्स ने कोरोना मरीजों के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन को किया रिकमेंड, हिदायत भी दी
टास्क फोर्स ने कोरोना मरीजों के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन को किया रिकमेंड, हिदायत भी दी

नई दिल्‍ली, एएनआइ/जेएनएन। कोरोना वायरस (coronavirus) की रोकथाम के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा गठित नेशनल टास्‍क फोर्स ने कोविड-19 के हाई रिस्‍क मामलों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine) को रिकमेंड किया है। इसके साथ ही मलेरिया की दवा (हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्विन) के इस्तेमाल को लेकर एक अहम एडवाइजरी भी जारी की है। एडवाइजरी में लोगों को कोरोना की आशंका के आधार पर इस दवा के सेवन से बचने की हिदायत दी गई है। साथ ही कहा गया है कि केवल हाईरिस्क में काम करने वाले लोगों को ही यह दवा दी जाए। इनमें हेल्थकेयर वर्कर या फिर फिर जिन्हें टेस्ट में इसकी पुष्टि हो गई है, वे लोग शामिल हैं। 

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लोग बिना सलाह के कर रहे थे खरीद 

दरअसल, अमेरिका और फ्रांस की ओर से इसके प्रभावी होने की बात कहे जाने के बाद लोगों द्वारा इस दवा का अपने आप से दवा की दुकानों से खरीदकर इस्तेमाल करने की सूचनाएं मिल रही थी। इसके साथ ही टास्क फोर्स ने दवा विक्रेताओं से इस दवा को सिर्फ रजिस्टर्ड डाक्टरों के पर्चे पर ही किसी को देने का निर्देश दिया है।वहीं ड्रग्स कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया से इसके प्रतिबंधित इस्तेमाल की मंजूरी देने की भी सिफारिश की है। उक्‍त एडवाइजरी को इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि मलेरिया के ईलाज में इस्तेमाल होने वाली इस दवा का कोरोना को लेकर मुकम्‍मल ट्रायल नहीं हुआ है। 

हाईरिस्क में इस तरह करें इस्तेमाल

आईसीएमआर ने अपनी एडवाइजरी में यह भी बताया है कि इसे हाइरिस्क में काम करने वालों लोगों को किस तरह से दी जाए। इसके तहत कोरोना पाजिटिव मिलने पर पहले दिन पूरे दिन में दो बार 400 मिलीग्राम दी जाए। जबकि अगले सात हफ्ते तक इसे हर हफ्ते सिर्फ एक बार 400 मिलीग्राम (एमजी) खाने के साथ ही दी जाए। वहीं 15 साल से कम उम्र के बच्चों को इसे कतई न देने की सलाह दी गई है।

उल्‍लेखनीय है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association, IMA) के पूर्व अध्यक्ष एवं हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (Heart Care Foundation of India) के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को पत्र लिखा था। पत्र में मांग की गई थी कि कोरोना के मरीजों के इलाज में इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दी जाए। 

बकौल अग्रवाल यूरोपियन यूनियन के क्लीनिकल ट्रायल में इस दवा के असर का 25 मरीजों पर अध्ययन किया गया है। अध्ययन में पाया गया है हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन मरीजों में वायरस को तेजी से कम करती है। परीक्षण के दौरान यह दवा देने के छठे दिन बाद जब मरीजों की जांच की गई तो पॉजिटिव मामले 25 फीसद रह गए। रिपोर्टों के मुताबिक, यह अध्ययन इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एंटीमाइक्रोबायल एजेंट्स में प्रकाशित हुआ है। डॉक्‍टरों की मानें तो इस मरीज का कोई ज्यादा साइड इफेक्ट भी नहीं है।

अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप (US President Donald Trump) ने कहा था कि इसके प्रारंभिक परीक्षण में बेहद उत्‍साहजनक नतीजे सामने आए हैं। कोरोना जैसे महामारी से निपटने में यह दवा बेहद कारगर साबित हो सकती है। ट्रंप की हरी झंडी के बाद अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए दवा को अनुमोदित कर दिया है। यही नहीं बताया यह भी जा रहा है कि अमेरिका में इस दवा के शुरुआती नतीजे बेहद उत्साहजनक रहे हैं। मालूम हो कि दुनिया में इस महामारी से मरने वालों की संख्या 14,000 के करीब पहुंच गई है। 


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