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राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान ने संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए पांच गांवों को लिया गोद

संस्कृत को आगे बढ़ाने और इस भाषा के संरक्षण के लिए कम से कम दो संस्कृत भाषी गांव विकसित करने की जरूरत है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 07 Jul 2019 09:02 PM (IST)Updated: Sun, 07 Jul 2019 09:02 PM (IST)
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान ने संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए पांच गांवों को लिया गोद
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान ने संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए पांच गांवों को लिया गोद

नई दिल्ली, प्रेट्र। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश के बाद राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (आरकेएस) ने यह सुनिश्चित करने के लिए देशभर के पांच गांवों को गोद लिया है कि इन गांवों के लोग संस्कृत में बात कर पाएं।

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बता दें कि राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, दिल्ली का लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ और तिरुपति स्थित राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ ये तीनों केंद्रीय संस्थान हैं, जो 3,500 साल से भी अधिक पुरानी भाषा संस्कृत को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तीनों संस्थानों को दो गांवों को गोद लेने और बोली जाने वाली भाषा के रूप में संस्कृत को बढ़ावा देने के लिए इस भाषा को सिखाने का निर्देश दिया है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'आरकेएस ने त्रिपुरा में जुबार्ता, हिमाचल प्रदेश में मसोत, कर्नाटक के चित्तेबैल, केरल में अदात और मध्य प्रदेश में बराई गांव को गोद लिया है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि इन गांवों में हर कोई संस्कृत भाषा में बात कर सके।'

अधिकारी ने बताया कि दो अन्य संस्थाओं ने अभी गांवों को गोद नहीं लिया है। पिछले महीने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय भाषा संस्थानों के प्रमुखों की बैठक में निर्देश दिया गया था कि संस्कृत को आगे बढ़ाने और इस भाषा के संरक्षण के लिए कम से कम दो संस्कृत भाषी गांव विकसित करने की जरूरत है।


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