राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने बताया आर्कबिशप के बयान को गलत
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि कुटो को इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए, क्योंकि इससे देश का माहौल खराब होता है।
By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 23 May 2018 06:54 PM (IST)Updated: Wed, 23 May 2018 06:54 PM (IST)
style="text-align: justify;">नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जी हसन रिजवी ने दिल्ली के आर्कबिशप अनिल कुटो के बयान को गलत बताया है। उनका कहना था कि कुटो को इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए, क्योंकि इससे देश का माहौल खराब होता है।
रिजवी ने कहा कि केंद्र सरकार सभी वर्गों के लिए काम कर रही है। किसी के प्रति भेदभाव नहीं बरता जा रहा है। न तो देश में कोई विध्वंसकारी राजनीतिक माहौल है और न ही डर का वातावरण यहां पनप रहा है। लेकिन आर्कबिशप ने जो पत्र लिखा है उससे जरूर देश में डर का माहौल बन जाएगा। गौरतलब है कि दिल्ली के आर्कबिशप ने कर्नाटक चुनाव से कुछ दिनों पहले पत्र लिखा था। उनका कहना था कि देश में विध्वंसकारी राजनीतिक माहौल बना हुआ है। इससे लोकतांत्रिक मूल्यों को खतरा पैदा हो रहा है।
कुटो का ये भी कहना था कि भारत में कई समुदाय रहते हैं और उनके बीच प्यार व सद्भाव कायम है, लेकिन इस राजनीतिक माहौल के चलते इसे ठेस लगने का पूरा खतरा है। उन्होंने एक प्रार्थना मुहिम चलाने की बात भी कही थी। कई धार्मिक संगठनों को लिखे पत्र में 2019 चुनाव का हवाला दिया गया था। आर्कबिशप ने ईसाई समुदाय के लोगों का आह्वान किया था कि वे हर शुक्रवार को उपवास रखें। हालांकि मंगलवार को उन्होंने साफ किया कि उनके पत्र का केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से कोई लेनादेना नहीं है। सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बयान से साफ दिखता है कि आर्कबिशप पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं।
रिजवी ने कहा कि केंद्र सरकार सभी वर्गों के लिए काम कर रही है। किसी के प्रति भेदभाव नहीं बरता जा रहा है। न तो देश में कोई विध्वंसकारी राजनीतिक माहौल है और न ही डर का वातावरण यहां पनप रहा है। लेकिन आर्कबिशप ने जो पत्र लिखा है उससे जरूर देश में डर का माहौल बन जाएगा। गौरतलब है कि दिल्ली के आर्कबिशप ने कर्नाटक चुनाव से कुछ दिनों पहले पत्र लिखा था। उनका कहना था कि देश में विध्वंसकारी राजनीतिक माहौल बना हुआ है। इससे लोकतांत्रिक मूल्यों को खतरा पैदा हो रहा है।
कुटो का ये भी कहना था कि भारत में कई समुदाय रहते हैं और उनके बीच प्यार व सद्भाव कायम है, लेकिन इस राजनीतिक माहौल के चलते इसे ठेस लगने का पूरा खतरा है। उन्होंने एक प्रार्थना मुहिम चलाने की बात भी कही थी। कई धार्मिक संगठनों को लिखे पत्र में 2019 चुनाव का हवाला दिया गया था। आर्कबिशप ने ईसाई समुदाय के लोगों का आह्वान किया था कि वे हर शुक्रवार को उपवास रखें। हालांकि मंगलवार को उन्होंने साफ किया कि उनके पत्र का केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से कोई लेनादेना नहीं है। सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बयान से साफ दिखता है कि आर्कबिशप पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं।
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