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पत्रकार की हत्या के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट

असामाजिक तत्वों द्वारा पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है और ज्यादातर मामलों में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा था कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 12:26 AM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 12:26 AM (IST)
पत्रकार की हत्या के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट
आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार से मांगी थी रिपोर्ट।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उन्नाव में कथित तौर पर रेत माफिया द्वारा पत्रकार की हत्या के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संतुष्टि जताते हुए उसकी रिपोर्ट स्वीकार कर ली है। राज्य सरकार ने आयोग को भेजी गई कार्रवाई रिपोर्ट में बताया है कि मामले में 16 अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है और फिलहाल मामला अदालत में विचाराधीन है।

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रेत माफिया ने की थी पत्रकार की हत्या, आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी

अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग पर उन्नाव में 19 जून, 2020 को हिंदी दैनिक कंपू मेल के पत्रकार शुभम त्रिपाठी की कथित तौर पर रेत माफिया ने हत्या कर दी थी। इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी।

पत्रकार की हत्या के मामले में 16 अभियुक्तों को जेल भेजा गया, मामला कोर्ट में विचाराधीन

प्रदेश सरकार की ओर से आयोग को भेजी गई कार्रवाई रिपोर्ट में बताया गया है कि घटना के बारे में आइपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एफआइआर दर्ज की गई और मामले की जांच सीबी सीआइडी ने की है। इस मामले में अब तक 16 अभियुक्त गिरफ्तार कर जेल भेजे गए हैं। सीबी सीआइडी ने मामले में काल डिटेल और अन्य फारेंसिक सबूत एकत्र किए हैं और फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित है। आयोग ने प्रदेश सरकार की रिपोर्ट स्वीकार कर ली है।

आयोग ने मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगी थी

आयोग ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगी थी। आयोग ने सरकार से मामले में सीबी सीआइडी से निष्पक्ष जांच कराने और पीडि़त परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा था। आयोग ने यह भी कहा था कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक असामाजिक तत्वों द्वारा पत्रकारों को निशाना बनाया जा रहा है और ज्यादातर मामलों में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती। आयोग ने कहा था कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए।


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