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कांग्रेस को कल बाय-बाय कह सकते हैं नारायण राणे

5 या 6 अक्तूबर को होनेवाले राज्य मंत्रिमंडल विस्तार से पहले ही वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 20 Sep 2017 09:40 PM (IST)Updated: Wed, 20 Sep 2017 09:40 PM (IST)
कांग्रेस को कल बाय-बाय कह सकते हैं नारायण राणे
कांग्रेस को कल बाय-बाय कह सकते हैं नारायण राणे

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। कांग्रेस नेता नारायण राणे गुरुवार को कांग्रेस से नाता तोड़ने की घोषणा कर सकते हैं। उम्मीद है कि 5 या 6 अक्तूबर को होनेवाले राज्य मंत्रिमंडल विस्तार से पहले ही वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं।

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प्रदेश कांग्रेस ने बीते शनिवार को ही अपनी सिंधुदुर्ग इकाई भंग कर दी थी। क्योंकि महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में राणे का अच्छा प्रभाव माना जाता है और वहां की कांग्रेस इकाई में राणे के ही ज्यादा लोग थे। राणे ने इसका जवाब देते हुए सोमवार को सिंधुदुर्ग के कुडाल कस्बे में बड़ी रैली कर अपना शक्ति प्रदर्शन किया और घोषणा की कि नवरात्र में वह कांग्रेस से अलग राह चुन लेंगे। गुरुवार को नवरात्र का पहला दिन है।

उम्मीद है कि राणे अपने गृह क्षेत्र कणकवली में प्रेस के सामने कांग्रेस से नाता तोड़ने एवं अपनी आगे की योजना की घोषणा करेंगे। उनके कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की चर्चाएं पिछले छह महीने से चल रही हैं। माना जा रहा है कि भाजपा उन्हें लेकर शिवसेना के सबसे मजबूत गढ़ कोकण में अपनी जड़ें जमाना चाहती है। संभवतः भाजपा की ओर बढ़ते राणे के कदम शिवसेना को और परेशान कर रहे हैं। यही कारण है कि वह बार-बार राज्य सरकार से हटने की धमकी दे रही है।

लेकिन राणे के साथ अभी उनके विधायक पुत्र नीतेश राणे एवं उनके समर्थक एक और विधायक कालीदास कोलंबकर कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। खुद पर किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचने के लिए नीतेश गुरुवार को अपने पिता के साथ कणकवली में मौजूद भी नहीं रहेंगे।

नीतेश ने खुलासा किया है कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के निजी सहायक मिलिंद नार्वेकर ने उन्हें और उनके पिता नारायण राणे को शिवसेना में आने का निमंत्रण दिया था। मिलिंद ने उनसे कहा था कि उद्धव शिवसेना में वापस आने के लिए उनकी राह देख रहे हैं। बता दें कि नारायण राणे 2005 में अपने समर्थक विधायकों के साथ शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में आए थे। तब कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष रहीं प्रभा राव ने उन्हें जल्दी ही मुख्यमंत्री बनाने का आश्वासन दिया था। लेकिन कांग्रेस में राणे की यह महत्त्वाकांक्षा कभी पूरी नहीं हो सकी। यहां तक कि उन्हें संगठन में भी कभी कोई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी गई।

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