ईवीएम में चुनाव चिह्न की जगह हो प्रत्याशी का नाम और योग्यता, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर चुनाव आयोग को निर्देश देने का आग्रह। ईवीएम में चुनाव चिह्न के इस्तेमाल को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित करने की मांग। 539 सांसदों में से 233 सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) से राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न हटाने और उनके स्थान पर प्रत्याशियों के नाम, उम्र, योग्यता और तस्वीर का इस्तेमाल करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
भाजपा नेता और वरिष्ठ वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। याचिका में अनुरोध किया गया है कि ईवीएम में चुनाव चिह्न के इस्तेमाल को गैरकानूनी, असंवैधानिक और संविधान का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए।
याचिका में यह कहा गया है कि राजनीति को भ्रष्टाचार और अपराधीकरण से मुक्त कराने की दिशा में यह उत्तम प्रयास होगा कि मतपत्रों और ईवीएम से राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न हटाकर उनके स्थान पर प्रत्याशियों के नाम, उम्र, शैक्षणिक योग्यता और उनकी तस्वीर लगाई जाए। यह दलील दी गई है कि चुनाव चिह्न के बगैर ईवीएम होने से कई लाभ होंगे। इनसे मतदाताओं को भी ईमानदार और योग्य प्रत्याशियों का चयन करने में मदद मिलेगी।
याचिका के अनुसार बगैर चुनाव चिह्न वाले मतपत्रों और ईवीएम से टिकट वितरण में राजनीतिक दलों के हाईकमान की तानाशाही पर अंकुश लगेगा और वे जनता की भलाई के लिए ईमानदारी से काम करने वाले लोगों को पार्टी का टिकट देने के लिए बाध्य होंगे। गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अध्ययन का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि 539 सांसदों में से 233 सांसदों ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की है।
याचिका के अनुसार, '2014 के चुनाव में विजयी 542 सांसदों में से 185 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की और 2009 के लोकसभा चुनाव में जीते 543 सांसदों में से 162 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा की थी। इस स्थिति की मूल वजह मतपत्रों और ईवीएम में राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न का इस्तेमाल है।'