Move to Jagran APP

छत्तीसगढ़ में भी है 'मुजफ्फरपुर', आश्रम अधीक्षिका देती थी दरिंदों को प्रश्रय

बिहार के मुजफ्फरपुर की तरह का ही मामला 2013 में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सामने आया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 08:47 PM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 08:47 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में भी है 'मुजफ्फरपुर', आश्रम अधीक्षिका देती थी दरिंदों को प्रश्रय
छत्तीसगढ़ में भी है 'मुजफ्फरपुर', आश्रम अधीक्षिका देती थी दरिंदों को प्रश्रय

अरुण उपाध्याय, रायपुर, नईदुनिया। बिहार के मुजफ्फरपुर की तरह का ही मामला 2013 में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में सामने आया था। यहां के एक गांव के सरकारी कन्या आश्रम में नाबालिग बच्चियों का शोषण होता रहा। शोषण करने वालों में आश्रम के ही कर्मचारी शामिल थे और उन्हें वहां की अधीक्षिका पूरा प्रश्रय देती रही। दरिंदों का सच तब सामने आया जब जनवरी 2013 में वहां की एक बच्ची के अभिभावक ने कलेक्टर को चिठ्ठी भेज कर इसकी शिकायत की। जांच हुई तो 15 बच्चियां सामने आयीं, जिनके साथ दुष्कर्म किया जाता रहा। माना जाता है कि शिकार बच्चियों की संख्या 15 से ज्यादा रही होगी। यह सिलसिला कब से चल रहा था, किसी को नहीं पता।

loksabha election banner

यह बात भी चर्चा में आयी कि कुछ स्थानीय नेताओं का वहां आना-जाना था, मगर यह तथ्य जांच में सामने नहीं आ सका। मुद्दे पर प्रदेश में कांग्रेस और अन्य पार्टियों ने जमकर बवाल किया। विधानसभा में लगातार यही मुद्दा छाया रहा। आखिरकार जांच में पांच लोगों को दोषी पाया गया और तीन को आजीवन कैद की सजा मिली। बाकी दो को एक से पांच साल की सजा सुनाई गई । फिलहाल केस छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में चल रहा है।

जज भी हुए सख्त

इस संवदेनशील प्रकरण में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पूरी गंभीरता के साथ लगातार सुनवाई की। आखिर में जज ने शिकार सभी बच्चियों को सात- सात लाख मुआवजा देने का आदेश सरकार को दिया है। जनवरी में केस सामने आने के बाद अक्टूबर 2013 में इसका फैसला भी आ गया था।

चौकीदार ही बना भक्षक

सरकारी कन्या आश्रम के चौकीदार दीनानाथ नागेश और शिक्षाकर्मी मन्न्ूराम गोटा पर ही आरोप लगा था कि वे पिछले कई साल से यह गंदा काम कर रहे हैं। बच्चियों के बयान से पता चला कि दोनों शराब पीकर आते थे और आश्रम के हाल में ही किसी भी लड़की को शिकार बना देते थे। आश्रम परिसर में ही अधीक्षिका बबीता मरकाम रहती थी। ताज्जुब की बात यह रही कि उसने इस काम को संरक्षण दिया। आश्रम की बच्चियां आतंकित थीं, मगर वे आश्रम से निकाल दिए जाने के डर से मुंह नहीं खोल पा रहीं थीं।

अधिकारी भी नपे

कांकेर के फास्टट्रैक कोर्ट ने झलियामारी के उपसरपंच सकालूराम, पंच लच्छूनताम, खंड शिक्षा अधिकारी एसएस नवर्जी और सहायक खंड शिक्षा अधिकारी जितेंद्र नायक को भी पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने सहायक शिक्षक सागर कतलम को एक साल की सजा दी है। जांच में ही पता चला था कि आश्रम के जिम्मेदार अधिकार कभी आश्रम में झांकने तक नहीं जाते थे। हंगामा मचा तब सरकार ने बीईओ, एबीईओ, सहायक शिक्षक को निलंबित कर दिया था।

पुरुषों को हटाया गया

घटना सामने आने के बाद सरकार चेती और फिर छत्तीसगढ़ के सभी कन्या आश्रमों से पुरुष शिक्षकों व कर्मचारियों को हटाने के आदेश जारी कर दिए गए। अब सरकार ने वहां शिक्षाकर्मी, अधीक्षिका और कर्मचारी के रूप में महिलाओं की ही तैनाती की है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.