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वरुण से मुकदमे वापस लेने से मुस्लिम सियासत गर्म

मुस्लिमों के खिलाफ आग उगलने के मामले में भाजपा सांसद वरुण गांधी से मुकदमे वापस लेने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले से मुस्लिम तबके में खासी हलचल है। ---

By Edited By: Published: Thu, 15 Nov 2012 09:33 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2012 10:01 PM (IST)

नई दिल्ली [जाब्यू]। मुस्लिमों के खिलाफ आग उगलने के मामले में भाजपा सांसद वरुण गांधी से मुकदमे वापस लेने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले से मुस्लिम तबके में खासी हलचल है। मायावती सरकार के दौरान वरुण के खिलाफ दर्ज किए गए इन मुकदमों पर वरुण को राहत दिए जाने से जहां तमाम मुस्लिम रहनुमा आहत हैं, वहीं समाजवादी पार्टी इस फैसले को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की निरपेक्षता करार दे रही है। हालांकि, मुस्लिम तबके के तमाम नेता इस फैसले को पचा नहीं पा रहे हैं और इससे उन्हें गलत संदेश जाने की आशंका भी है।

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उत्तर प्रदेश की सपा सरकार से नाराज चल रहे जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी इस फैसले से भड़के हुए हैं। वह कहते हैं कि इस मसले पर वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे। पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश में हुए दंगों और उनमें हुई गिरफ्तारियों की तरफ भी वह इशारा करते हैं। उनके मुताबिक, हमारी मांग तो थी कि उत्तर प्रदेश में जो बेकसूर लोग पकड़े गए हैं, उन्हें रिहा किया जाए। इसके लिए अदालतों में तेजी से मुकदमों का निस्तारण हो। आजम खान का नाम लिए बगैर बुखारी ने कहा कि मगर ऐसा न करके राज्य के मंत्रियों के मुकदमे वापस लिए जा रहे हैं।

वरुण से मुकदमे वापसी के फैसले को वह बेहद अफसोसनाक करार देते हैं। कहते हैं, ऐसे भाजपा सांसद जिसने खुल्लमखुल्ला एक वर्ग विशेष के हाथ-पैर काटने की बात कही, उससे मुकदमे वापस लेने से राज्य के मुस्लिम निराश हैं। हालांकि, सपा के सूत्र बुखारी के इस बयान को व्यक्तिगत स्वार्थो से जुड़ा करार दे रहे हैं। उनके मुताबिक, बुखारी के कहने पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कई विभागों के चेयरमैन नहीं बनाए और उनकी बात वह आंख बंद कर नहीं सुन रहे। इसलिए बुखारी नाराज हैं।

सपा के सचिव कमाल फारुखी भी इसी तरफ इशारा करते हैं। वह कहते हैं कि वास्तव में जो लोग हमारे खिलाफ हैं, वही इस तरह की बातें फैला रहे हैं।

मुस्लिमों के लिए बड़ा मुद्दा उनका विकास और शिक्षा है, जिन पर सरकार काम कर रही है। फारुखी कहते हैं कि मुख्यमंत्री के इस फैसले की सराहना की जानी चाहिए कि वह राजनीतिक रंजिश के तहत फैसले नहीं लेते। विकास उनका लक्ष्य है और वह मायावती सरकार के दौर में हुई गलतियों को दोहराने के लिए सत्ता में नहीं आए हैं। हालांकि, फारुखी से अलग पार्टी के मुस्लिम नेता उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले और उस पर नेतृत्व की चुप्पी से खासे आशंकित हैं।

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