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अब मुस्लिम निकाय ने मुसलमानों को भी जाति आधारित जनगणना में शामिल किए जाने की मांग की, जानें क्‍या कहा

मुसलमानों के पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले विभिन्न निकायों (Muslim bodies) ने मांग की है कि जाति आधारित जनगणना (Caste Census) में मुसलमानों को भी शामिल किया जाना चाहिए। जानें इसके पीछे क्‍या दी जा रहीं दलीलें...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 08:59 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 09:11 PM (IST)
अब मुस्लिम निकाय ने मुसलमानों को भी जाति आधारित जनगणना में शामिल किए जाने की मांग की, जानें क्‍या कहा
मुसलमानों के निकायों ने मांग की है कि जाति आधारित जनगणना में मुस्लिमों को भी शामिल किया जाना चाहिए।

नई दिल्ली, पीटीआइ। मुसलमानों के पिछड़े वर्गों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले विभिन्न निकायों (Muslim bodies) ने मांग की है कि जाति आधारित जनगणना (Caste Census) में मुस्लिमों को भी शामिल किया जाना चाहिए। इन निकायों का कहना है कि हिंदुओं की तरह मुस्लिम भी विभिन्न जातियों और उप-जातियों में बंटे हुए हैं। पूर्व सांसद एवं आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज (All India Pasmanda Muslim Mahaz) के अध्यक्ष अली अनवर ने जाति आधारित जनगणना की राजनीतिक दलों की मांग का भी समर्थन किया।

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अली अनवर ने कहा कि चूंकि हिंदू समुदाय की तरह मुस्लिम भी विभिन्न जातियों और उप-जातियों में बंटे हुए हैं इसलिए जाति आधारित जनगणना में सभी धर्मों को शामिल किया जाना चाहिए। अनवर ने आरोप लगाया कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने मुस्लिमों के पिछड़े वर्गों की समस्‍याओं और परेशानियों पर गौर नहीं करने को लेकर बाकी राजनीतिक दलों की भी आलोचना की।

मालूम हो कि अनवर ने साल 2017 में जदयू के भाजपा के साथ गठबंधन करने का विरोध किया था। इसके बाद उनको जदयू से निकाल दिया गया था। इस मौके पर एक पुस्तिका का भी विमोचन किया गया। इस पुस्तिका में मांग की गई कि अनुसूचित जाति के लोगों को मिलने वाले लाभ मुस्लिमों और ईसाइयों के दलित वर्गों को भी दिए जाने की जरूरत है। अनवर ने दलील दी कि रंगनाथ मिश्रा कमीशन और सच्चर कमेटी की रिपोर्टों में इसी आधार पर सिफारिशें की गई हैं।  


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