तीन तलाक कानून के खिलाफ एक और याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस भेज मांगा जवाब
Law to criminalise Triple Talaq तीन तलाक के खिलाफ संसद से पारित कानून को चुनौती देने वाली एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है।
नई दिल्ली, एएनआइ। तीन तलाक (Triple Talaq) के खिलाफ संसद से पारित कानून को चुनौती देने वाली एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल की गई है। तमिलनाडु के मुस्लिम एडवोकेट एसोसिएशन (Muslim Advocate Association) की ओर से यह याचिका शुक्रवार को डाली गई। इस याचिका पर जस्टिस एनवी रामन्ना (Justice NV Ramana) की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी करके जवाब मांगा। साथ ही इसको भी अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया।
Muslim Advocate Association of Tamil Nadu approaches the Supreme Court challenging validity of law passed by Parliament to criminalise Triple Talaq. A Bench headed by Justice NV Ramana seeks reply from the Centre and tags the matter along with similar pending cases. pic.twitter.com/4RSqXCoMzI
— ANI (@ANI) September 13, 2019
इससे पहले केरल के सुन्नी मुस्लिम विद्वानों और मौलवियों के एक धार्मिक संगठन 'समस्त केरल जमीअतुल उलेमा' ने सुप्रीम कोर्ट में इस कानून को चुनौती देते हुए इसे असंवैधानिक घोषित करने की मांग उठाई थी। याचिका में कहा गया था कि उक्त कानून में धार्मिक पहचान के आधार पर दंड का प्रावधान किया गया है। ऐसे में अगर यह अनियंत्रित होता है तो यह समाज में ध्रुवीकरण और विघटन का कारण बन सकता है। इसके साथ ही आरोप लगाया गया था कि अधिनियम के पीछे की मंशा तीन तलाक खत्म करना नहीं, बल्कि मुस्लिम पतियों को सजा देना है।
उक्त याचिका में यह भी कहा गया था कि धारा-4 के तहत यदि कोई मुस्लिम पति तत्काल तीन तलाक देता है तो उसे तीन साल की अधिकतम सजा का प्रावधान है जबकि धारा-7 के तहत इस अपराध को संज्ञेय (बिना वारंट के गिरफ्तारी) और गैर जमानती बनाया गया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि नया कानून चूंकि संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है, इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए।