समर्थ परिवार ने मदद लेने से किया इन्कार, बोले - दूसरे जरूरतमंदों की मदद कर दे सरकार
बाल सेवा योजना का लाभ दिलाने के लिए सर्वे हुआ तो विदिशा शहर में रईस अहमद का एक मात्र परिवार पात्र पाया गया। कुछ दिनों पहले रईस के छोटे भाई हनीफ और उनकी पत्नी तस्लीम की मौत हो गई थी। इन दोनों के कुल छह बच्चे हैं।
अजय जैन, भोपाल। सरकारी मदद पाने के लिए लोग सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रहते हैं, लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि किसी योजना में पात्र होने के बाद भी हितग्राही मदद लेने से इन्कार कर दे। कोरोना काल में किसी भी कारण से माता-पिता की मृत्यु के कारण अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए राज्य सरकार ने बाल सेवा योजना बनाई है, लेकिन मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में एक मात्र पात्र हितग्राही के परिवार ने इस योजना का लाभ लेने से इन्कार कर दिया। परिवार का कहना है कि हमें जरूरत नहीं है, बेहतर होगा कि किसी अन्य जरूरतमंद को इसका लाभ दिया जाए।
मप्र के विदिशा जिले का मामला, परिवार बोला - हम बच्चों को संभाल लेंगे
बाल सेवा योजना का लाभ दिलाने के लिए सर्वे हुआ तो विदिशा शहर में रईस अहमद का एक मात्र परिवार पात्र पाया गया। कुछ दिनों पहले रईस के छोटे भाई हनीफ और उनकी पत्नी तस्लीम की मौत हो गई थी। इन दोनों के कुल छह बच्चे हैं, जिसमें से एक बेटी की शादी हो गई है और पांच नाबालिग हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी ब्रजेश शिवहरे ने बताया कि मृतक हनीफ के बड़े भाई रईस और अनीस अहमद से योजना के तहत बच्चों को पेंशन देने के लिए दस्तावेज मांगे तो दोनों भाइयों ने योजना का लाभ लेने से इन्कार कर दिया। एसडीएम की मौजूदगी में हनीफ के दोनों भाइयों से आग्रह किया गया कि वे शासन से मिलने वाली मदद के लिए इन्कार न करें। लेकिन इस परिवार का कहना है कि भाई के बच्चे अनाथ नहीं हैं, वे दोनों भाई उनका पालन-पोषण करेंगे।
बच्चों की बदौलत ही मिली समृद्घि
आर्थिक रूप से मजबूत इस परिवार के अनीस अहमद कहते हैं कि पिता से यह संस्कार मिले हैं। हम बच्चों की बदौलत ही सक्षम बन पाए हैं। अनीस कहते हैं कि छोटा भाई हनीफ बचपन से ही दिव्यांग था। उसकी शादी भी दिव्यांग लड़की से ही हुई थी। दोनों की देखभाल परिवार ने की, उनके बच्चे भी हमारे हैं। सबका बेहतर ध्यान रखते आए हैं और आगे भी रखेंगे।
यह है बाल सेवा योजना
कोविड 19 बाल सेवा योजना में माता-पिता या अभिभावक की मृत्यु होने पर अनाथ बच्चों को प्रति माह 21 वर्ष की उम्र तक पांच हजार रुपये महीना पेंशन, मुफ्त राशन और उच्च शिक्षा तक का खर्च सरकार द्वारा वहन करने का प्रविधान है। इस परिवार में पांच बच्चे पात्र पाए गए हैं। पांचों बच्चों को कुल 25 हजार रुपये महीना पेंशन मिलना है।