MP: अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण भूमिपूजन तिथि को अमिट करने का अनोखा तरीका निकाला
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण भूमिपूजन तिथि आने वाली हर पीढ़ी के मनमस्तिष्क में अमिट रहे इसके लिए मध्य प्रदेश की प्रांतीय पंडित महासभा ने तरीका निकाल लिया है।
राजेंद्र शर्मा. विदिशा। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण भूमिपूजन तिथि आने वाली हर पीढ़ी के मनमस्तिष्क में अमिट रहे, इसके लिए मध्य प्रदेश की प्रांतीय पंडित महासभा ने तरीका निकाल लिया है। महासभा के पंडित किसी भी हवन, पूजन, यज्ञादि में यजमान को संकल्प दिलाते समय इस तिथि का उच्चारण करेंगे। इससे शताब्दियों बाद भी पता चल सकेगा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर की आधार शिला कितने साल पहले, किस दिन और कौन-सी तारीख को रखी गई थी। इसके अलावा मध्य प्रदेश के पंचांग और पत्रिकाओं के मुख्य पृष्ठ पर भी 'श्रीराम मंदिर युग' अंकित होगा।
महासभा के प्रदेश अध्यक्ष और ज्योतिषाचार्य पंडित संजय पुरोहित ने बताया कि सनातन धर्म की परंपराओं के अनुसार सनातन धर्म में हुआ कोई भी महत्वपूर्ण दिन तिथि, मास और पक्ष हमारे लिए संकल्प हो जाता है। हाल ही में भाद्रपद कृष्ण द्वितीय बुधवार विक्रम संवत 2077 शालिवाहन शक: 1942 , 5 अगस्त को अभिजित मुहूर्त में हुआ श्रीराम मंदिर के निर्माण का भूमिपूजन भी 472 वर्षो के संघर्ष का सुखद परिणाम है। इसलिए महासभा ने इस दिन को अपने संकल्प में शामिल करने का निर्णय लिया है।
इसके लिए महासभा से जुड़े सभी विद्वानों ने स्वीकृति दे दी है। अब सभी विद्वान नित्यकर्म, यज्ञ, प्रतिष्ठा, संध्या वंदन सहित यजमानों के यहां कराए जाने वाले सभी कर्मकांड के संकल्प में इसे शामिल करेंगे।
पूजन से पहले होता है संकल्प
बता दें कि किसी भी पूजन से पहले पुरोहित यजमान से संकल्प कराता है, जिसमें सन, संवत, तिथि आदि का उल्लेख किया जाता है। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले सनातन धर्म में संकल्प लिया जाता है। बगैर संकल्प के कोई भी अनुष्ठान नहीं किया जाता। संकल्प का आशय इस प्रतिज्ञा, 'मैं इस दिन, इस तिथि को इतने समय यह काम इतने दिन तक करने का संकल्प लेता हूं' से होता है। इसी संकल्प में संवत और शक: के बाद राम मंदिर युग शब्द जोड़ा जाएगा।