पर्वतीय राज्यों को मिल सकता है प्रोत्साहन पैकेज
पर्यावरण को साफ सुथरा रखने के लिए सरकार आम बजट 2015-16 में कई उपायों का एलान कर सकती है। केंद्र स्वच्छ ऊर्जा अधिभार (क्लीन एनर्जी सेस) को बढ़ाने के साथ वन बचाने के एवज में पर्वतीय राज्यों के लिए प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर सकता है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पर्यावरण को साफ सुथरा रखने के लिए सरकार आम बजट 2015-16 में कई उपायों का एलान कर सकती है। केंद्र स्वच्छ ऊर्जा अधिभार (क्लीन एनर्जी सेस) को बढ़ाने के साथ वन बचाने के एवज में पर्वतीय राज्यों के लिए प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा कर सकता है। ऐसा होने पर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के राज्यों को विशेष फायदा होगा।
सूत्रों का कहना है कि पर्वतीय राज्यों के लिए पर्यावरण संरक्षण सरकार की प्राथमिकता में है। लिहाजा, पर्यावरण संरक्षण के उपायों को बढ़ावा देने के साथ प्रदूषण रोकने को कदम उठाए जाएंगे। इस संबंध में वित्त मंत्रालय कोयले पर लगने वाले क्लीन एनर्जी सेस को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इसको बढ़ाकर 150 रुपये प्रति टन किया जा सकता है। फिलहाल यह 100 रुपये प्रति टन है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजग सरकार का पहला आम बजट पेश करते हुए पिछले साल जुलाई में स्वच्छ ऊर्जा अधिभार 50 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 100 रुपये प्रति टन किया था।
सूत्रों ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए सरकार पर्वतीय राज्यों को ग्रीन बोनस के तौर पर एक प्रोत्साहन पैकेज भी जारी कर सकती है। ग्रीन बोनस जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित पूर्वोत्तर के राज्यों को वन संरक्षण के एवज में मिलेगा। माना जा रहा है कि इन राज्यों को सरकार 12वीं पंचवर्षीय योजना में लगभग 10,000 करोड़ रुपये ग्रीन बोनस के रूप में दे सकती है। वैसे, इस साल इसमें से कितनी धनराशि जारी होगी, वह केंद्र सरकार की राजकोषीय स्थिति पर निर्भर करेगा।
पर्वतीय राज्य लंबे समय से ग्रीन बोनस की मांग कर रहे हैं। इन राज्यों की दलील है कि उन्होंने पर्यावरण के नियमों का पालन करते हुए अपने यहां वनों को सहेज कर रखा है, जिसकी वजह से इन राज्यों मंे विकास गतिविधियां पूरी तरह नहीं हो पाई हैं। लिहाजा, केंद्र को वन संरक्षण के बदले में पर्वतीय राज्यों को वित्तीय मदद मुहैया करानी चाहिए। 14वें वित्त आयोग ने भी इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया है।