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मदर टेरेसा करती थीं हमदर्द होने का दिखावा और..

पूरे विश्व में गरीब और असहाय लोगों के लिए निस्वार्थ काम करने वाली भारत की मदर टेरेसा पर की गई एक रिसर्च में उन्हें एक संत मानने से इंकार करते हुए उनके ऊपर अभद्र टिप्पणी तक की गई है। एक केनेडियन शोधकर्ता सर्ज लारवी और जिनेवेव चेनार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक मदर टेरेसा लोगों की सहायता नहीं करती थीं बल्कि

By Edited By: Published: Sat, 02 Mar 2013 11:02 AM (IST)Updated: Sat, 02 Mar 2013 11:20 AM (IST)

नई दिल्ली। पूरी दुनिया में गरीब और असहाय लोगों के लिए निस्वार्थ काम करने वाली भारत की मदर टेरेसा पर की गई एक रिसर्च में उन्हें एक संत मानने से इंकार करते हुए उनके ऊपर अभद्र टिप्पणी तक की गई है। एक केनेडियन शोधकर्ता सर्ज लारवी और जिनेवेव चेनार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक मदर टेरेसा लोगों की सहायता नहीं करती थीं बल्कि वह केवल अपने को विश्व स्तर पर चमकाने के लिए यह सब करती थीं। इसमें उन्हें मीडिया द्वारा बनाया गया संत कहा गया है।

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एक मैगजीन में छपे शोध में कहा गया है कि मदर टेरेसा को गरीब और असहाय लोगों से कोई दिलचस्पी नहीं थी। वह केवल अपने को उनका एक हमदर्द के तौर पर दुनिया के सामने रखना चाहती थीं, इसलिए वह लोगों की सहायता का दिखावा करती थीं। इस विवादास्पद शोध में मदर टेरेसा को मीडिया का संत बताया गया है। रिलीजियस नाम की एक मैगजीन में छपे इस शोध में मदर टेरेसा के बारे में कई अजीबोगरीब बातें कही हैं।

इसमें कहा गया है कि मदर टेरेसा ने अपनी छवि को विश्व स्तर पर कायम करने के लिए न सिर्फ पैसे का सहारा लिया बल्कि मीडिया की मदद ली। शोध में कहा गया है कि उन्होंने इसके लिए गरीबों और असहाय लोगों के साथ अपनी फोटो और शार्ट मूवी तक बनवाई और बाद में इनकी अच्छी मार्केटिंग भी की। इसके लिए उन्होंने जानी मानी कोडेक कंपनी का भी इस्तेमाल किया।

शोधकर्ताओं के मुताबिक टेरेसा जिस वक्त इसाई धर्म पर संकट के बादल मंडरा रहे थे उस वक्त टेरेसा ने न सिर्फ भारत में इसका प्रचार-प्रसार किया बल्कि अपनी ग्लोबल इमेज बनाने में सफलता हासिल की। अपने शोध में इन्होंने कहा है कि इस दौरान उनके पास आई रकम को लेकर भी कई तरह के सवाल है। शोध के मुताबिक इस रकम के इस्तेमाल में काफी सारी अनियमितताएं सामने आई हैं।

मदर टेरेसा को संत मानने वालों के लिए और खासकर पश्चिम बंगाल के लिए यह शोध दुखी करने वाला है। पश्चिम बंगाल से मदर टेरेसा का जुड़ाव बेहद पुराना है। मदर टेरेसा की मौत के बाद वेटिकन में उन्हें संत का दर्जा देने को लेकर कवायद शुरू हुई थी। लेकिन इस बात का कोई पुख्ता सबूत न मिलने की वजह से उन्हें संत की उपाधि नहीं दी गई। शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिनका जिक्र मदर टेरेसा के करिश्मे के रूप में जाना जाता है वह दरअसल दवाओं का परिणाम था।

रिपोर्ट में मैलकन मुगरेज का नाम लेकर कहा गया है कि इन्होंने मदर टेरेसा को प्रमोट करने के लिए मिशन ऑफ चेरेटी पर एक फिल्म तैयार की। इसमें मोनिका नाम की एक लड़की को उनके चमत्कार से सही होते दिखाया गया था। शोधकर्ताओं के मुताबिक उसके पेट में उठने वाला असहनीय दर्द दरअसल दवाओं की वजह से सही हुआ था। इसमें मदर टेरेसा की कोई भूमिका नहीं थी।

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