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मां-बेटे की जुगलबंदी, एक साथ लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास कर मचाया धमाल

केरल लोकसेवा आयोग की परीक्षा एक साथ पास कर मल्लपुरम के मां-बेटे इन दिनों देशभर में चर्चा में हैं। घर व बच्चों के देखभाल के साथ आंगनवाड़ी शिक्षिका की नौकरी करते हुए एक मां की बेटे के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों की इस जुगलबंदी पर एक नजर!

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 14 Aug 2022 11:06 PM (IST)Updated: Sun, 14 Aug 2022 11:06 PM (IST)
मां-बेटे की जुगलबंदी, एक साथ लोकसेवा आयोग की परीक्षा पास कर मचाया धमाल
केरल के मलप्पुरम में रहने वार्ली बिंदु व उनके बेटे विवेक ओटुपारा

मनी घोष, नई दिल्ली। केरल लोकसेवा आयोग की परीक्षा एक साथ पास कर मल्लपुरम के मां-बेटे इन दिनों देशभर में चर्चा में हैं। घर व बच्चों के देखभाल के साथ आंगनवाड़ी शिक्षिका की नौकरी करते हुए एक मां की बेटे के साथ प्रतियोगी परीक्षा की तैयारियों की इस जुगलबंदी पर एक नजर:

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कल्पना कीजिए, हाथ में करछी लिए किचन में खड़ी एक मां जब अपने 24 साल के बेटे से सामान्य ज्ञान के सवाल पूछकर उसे प्रतिस्पर्धी परीक्षा के लिए तैयारी करवा रही हैं। वहीं दूसरी ओर, सारा काम खत्म करने के बाद जब 41 वर्षीय मां थककर दो घड़ी बैठती हैं तो बेटा गणित का शिक्षक बनकर उन्हें पढ़ाने को आकर खड़ा हो जाता है।

...यही वह जुगलबंदी है, जिसकी वजह से केरल के मलप्पुरम में रहने वार्ली बिंदु व उनके बेटे विवेक ओटुपारा ने ही एक साथ केरल लोकसेवा आयोग (पीएससी) द्वारा आयोजित परीक्षा एक साथ पास की है।

बेशक उनका चयन किसी आइएएस या आइपीएस पद के लिए नहीं हुआ है। दोनों का ही लक्ष्य सिर्फ एक सामान्य सरकारी नौकरी पाना था, लेकिन उनका प्रयास अद्वितीय है। वर्तमान में आंगनबाड़ी शिक्षिका के रूप में काम कर रर्हीं बिंदु मलयालम ही जानती हैं। धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलने में दिक्कत महसूस करने की वजह से वह फोन बेटे विवेक को थमा देती हैं।

विवेक बताते हैं कि मेरा और मेरी मां का एक साथ चयन होना एक सुखद सूचना है, लेकिन यह संयोग नहीं है। मैंने एलडीसी (लोअर डिविशन क्‍लर्क) की परीक्षा पास की है और मुझे 38वीं रैंक मिली है। वहीं मेरी मां ने एलजीएस (लास्ट ग्रेड सर्वेंट) की परीक्षा में 98वीं रैक प्राप्त की है। उन्होंने वर्ष 2014 से इसकी तैयारी शुरू कर दी थी। दो बार परीक्षा भी दी थी। सूची में नाम भी आया, लेकिन नौकरी नहीं मिल पाई थी। उम्र को देखते हुए इस बार उनके लिए आखिरी अवसर था और उन्होंने इसमें सफलता हासिल कर ली।

मुझसे ज्यादा बड़ी उपलिब्ध उनकी इसलिए है कि मुझे तो पढ़ने का समय मिल जाता था, लेकिन वह घर का सारा काम, हमारी देखभाल और नौकरी करने के बाद जितना समय मिलता था, उसमें तैयारी करती थीं।

सामान्य ज्ञान में बहुत तेज हैं मां

भूगोल में स्नातक विवेक कहते हैं पारंपरिक पढ़ाई की बात करें तो मेरी मां सिर्फ बारहवीं पास हैं, लेकिन उनका सामान्य ज्ञान मेधावी छात्रों से भी कहीं तेज हैं। चलते-फिरते, खाना बनाते हुए भी उन्हें आप सामान्य ज्ञान को बढ़ाते हुए देख सकते हैं। जैसे, उन्होंने कहीं कुछ पढ़ा, तो तुरंत ही छोटे से कागज के टुकड़े पर लिख लेती हैं और उसे ऐसी जगह चिपका देती हैं, जो उन्हें दिखती रहे। जैसे, किचन या कमरे की दीवार। इस तरह से वह मुझे व बहन को भी जवाब याद करवा देती हैं। अंग्रेजी और गणित में उन्हें दिक्कत आती थी। उसमें मैं उन्हें मदद करता था। ...और हम दोनों की इस उपलब्धि के पीछे मेरे पिता चंद्रन ओटुपारा का सहयोग है। उन्होंने हमेशा प्रोत्साहित किया।


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