नई शिक्षा नीति के ज्यादातर सुझाव इसी साल से होंगे लागू, इस महीने दे दिया जाएगा अंतिम रूप
संसद के शीतकालीन सत्र के शुरु होने से पहले इसे कैबिनेट के सामने रख दिया जाएगा। नई शिक्षा नीति 2019 से शुरु होकर अगले दस सालों में एक-एककर लागू होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को अंतिम रूप देने के साथ ही उसके अमल को लेकर भी योजना बनने लगी है। इसके तहत नीति के ज्यादातर बड़े बदलावों को इसी साल यानि 2019 में ही लागू करने की तैयारी है। फिलहाल इनमें कौन से विषय होंगे, इसे लेकर अभी सहमति नहीं बन पायी है, बावजूद इसके जो संकेत मिल रहे है, उनमें राष्ट्रीय शिक्षा आयोग जैसे संस्थान के गठन को मंजूरी देने सहित मंत्रालय के नाम में बदलाव जैसे कदम शामिल हो सकते है। खासबात यह है कि प्रस्तावित नीति में भी प्रमुखता से इसकी सिफारिश की गई है।
नई शिक्षा नीति को अंतिम रुप देने की तैयारियां जोरों पर
प्रस्तावित नीति को लेकर यह सारी तैयारी उस समय शुरु हुई है, जब इसे अंतिम रुप देने के काम लगभग पूरा होने वाला है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक अक्टूबर महीने के अंत तक इसे अंतिम रुप दे दिया जाएगा। उनके मुताबिक वैसे तो इसे काफी पहले ही अंतिम रुप दे दिया जाता, लेकिन इसे लेकर आए सुझाव इतने ज्यादा थे, कि उसे परखने में ज्यादा समय लग गया।
सौ दिन के कामकाज को भी अंतिम रुप देने का लक्ष्य
बता दें कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपने सौ दिन के कामकाज में प्रस्तावित नई शिक्षा नीति को भी अंतिम रुप देने का लक्ष्य रखा था। जो इसी वजह से पूरा नहीं हो पाया था। बावजूद इसके मंत्रालय अब इसे अंतिम रुप देकर कैबिनेट के सामने पेश करने की योजना में जुट गया है।
नीति को लागू करने के लिए चरणबद्ध योजना
सूत्रों की मानें तो संसद के शीतकालीन सत्र के शुरु होने से पहले इसे कैबिनेट के सामने रख दिया जाएगा। जो संभवत: नवंबर के अंतिम हफ्ते में शुरु हो रहा है। इसके साथ ही नीति को लागू करने के लिए चरणबद्ध योजना भी बनाई गई है। जो 2019 से शुरु होकर अगले दस सालों में एक-एककर लागू होगी। हालांकि इसके ज्यादातर प्रमुख सुझावों को 2024 तक लागू करने की तैयारी है। इसके अलावा ज्यादा से ज्यादा लोगों को उच्च शिक्षा से जोड़ने जैसे दीर्षकालिक लक्ष्य भी रखे गए है। जिसमें सकल नामांकन दर (जीईआर) को 2035 तक 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का रोडमैप तैयार किया है।
मौजूदा समय में देश में उच्च शिक्षा की सकल नामांकन दर करीब 26 फीसद है। गौरतलब है कि पिछले महीने राज्यों के साथ रखी गई सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड आफ एजुकेशन(कैब) की बैठक में भी प्रस्तावित नीति को लेकर चर्चा हुई थी। जिसके बाद यह तेजी आयी है।