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    'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का मतलब भारत और पाकिस्तान के बीच भेदभावरहित व्यापार

    By Bhupendra SinghEdited By:
    Updated: Sun, 17 Feb 2019 07:28 PM (IST)

    पुलवामा में आतंकी हमले के बाद एमएफएन दर्जा का समाप्त करके पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर चोट करना और आर्थिक जगत में उसे अलग-थलग करना है। ...और पढ़ें

    'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का मतलब भारत और पाकिस्तान के बीच भेदभावरहित व्यापार

    हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान का 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (एमएफएन) दर्जा समाप्त कर दिया है। एमएफएन क्या है? दो देशों के बीच व्यापार में इसकी क्या भूमिका होती है? 'जागरण पाठशाला' के इस अंक में हम यही समझने का प्रयास करेंगे।

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    'मोस्ट फेवर्ड नेशन' शब्दावली सुनकर हमारे जहन में यह भाव आता है कि जब कोई देश, दूसरे देश को एमएफएन दर्जा देता है तो शायद उसे वह विशेष तवज्जो देता हो, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। हकीकत में इसका मतलब भेदभावरहित व्यापार करना यानी सभी देशों के साथ समान बर्ताव करना है।

    विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के समझौतों के अनुसार सभी सदस्य देशों से अपेक्षा की जाती है कि जब वे आपस में व्यापार करें तो एक दूसरे के साथ भेदभाव न करें। अगर एक राष्ट्र, दूसरे देश से आयातित उत्पाद पर कस्टम ड्यूटी कम करता है तो अन्य देशों के लिए भी उसे ऐसा ही करना होगा। समान बर्ताव के इसी सिद्धांत को 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा कहा जाता है।

    गैट के अनुच्छेद-1 में है एमएफएन का प्रावधान

    डब्ल्यूटीओ की व्यवस्था में एमएफएन का महत्वपूर्ण स्थान है। यह कितना अहम इसका अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि 'जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड-1994' (गैट) के पहले अनुच्छेद में ही इसका प्रावधान है। इसी तरह सेवाओं के व्यापार से संबंधित डब्ल्यूटीओ के समझौते 'जनरल एग्रीमेंट ऑन ट्रेड इन सर्विसेज' (गेट्स) के अनुच्छेद 2 और एग्रीमेंट ऑन ट्रेड रिलेटेड आस्पेक्ट ऑफ इंटेलेक्च्युअल प्रॉपर्टी राइट (ट्रिप्स) के अनुच्छेद 4 में इसका प्रावधान है।

    हालांकि कुछ अपवाद ऐसे हैं जहां एमएफएन सिद्धांत लागू नहीं होता। उदाहरण के लिए कुछ देश मिलकर 'मुक्त व्यापार समझौता' (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) कर सकते हैं, जिसका लाभ सिर्फ उन्हीं देशों को मिलता है जो उस एफटीए में शामिल होते हैं। इसी तरह अगर किसी देश को लगता है कि दूसरे देश से कोई सामान अनुचित ढंग से निर्यात किया जा रहा है तो वह उस पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा सकता है। इसके अलावा गैट के अनुच्छेद 21 के तहत सुरक्षा कारणों का हवाला देकर कोई भी देश एमएफएन का दर्जा खत्म भी कर सकता है।

    भारत ने 1996 में पाकिस्तान को 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' का दर्जा दिया था। पाकिस्तान से भी अपेक्षा थी कि वह भी भारत को यह दर्जा देगा, लेकिन अब तक उसने ऐसा नहीं किया है। पाकिस्तान की कैबिनेट ने नवंबर 2011 में इस आशय का एक निर्णय भी लिया, लेकिन वहां की सरकार ने अब तक उस पर अमल नहीं किया है।

    हालांकि पाकिस्तान ने मार्च 2012 में एमएफएन की जगह सकारात्मक सूची (भारत से आयात की जा सकने वाली वस्तुएं) और नकारात्मक सूची (आयात न की जा सकने वाली वस्तुएं) जारी की थीं।

    पुलवामा में आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट की सुरक्षा मामलों संबंधी समिति ने पाकिस्तान का एमएफएन दर्जा का समाप्त करने का निर्णय किया है ताकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर चोट की जा सके और आर्थिक जगत में उसे अलग-थलग किया जा सके। इससे पूर्व उरी हमले के बाद भी इस तरह की मांग उठी थी कि भारत को यह दर्जा वापस ले लेना चाहिए।