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कोरोना से कम उम्र वाले लोगों को भी उतना ही खतरा, केरल में ज्यादातर मरीज 40 साल तक के

केरल सरकार के मुताबिक उसके राज्य में कोरोना के ज्यादातर मरीज 20 से 40 साल की उम्र के हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने कहा है कि केरल में कोरोना वायरस के अधिकांश मरीज 40 साल तक के हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 08:49 AM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 08:57 AM (IST)
कोरोना से कम उम्र वाले लोगों को भी उतना ही खतरा, केरल में ज्यादातर मरीज 40 साल तक के
केरल में कोरोना के ज्यादातर मरीज 20-40 साल के हैं।

तिरूवनंतपुरम, एएनआइ। देश में कोरोना वायरस का कहर तेजी से बढ़ रहा है। इस बीच कोरोना से रिकवरी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। कोरोना वायरस को लेकर अब तक हुई रिसर्च में यही देखने में आया है कि युवाओं के मुकाबले उम्रदराज लोगों में कोरोना वायरस का खतरा ज्यादा होता है। लेकिन इस बीच केरल सरकार ने एक चौंकाने वाले आंकड़े सामने लाए हैं। केरल सरकार के मुताबिक उसके राज्य में कोरोना के ज्यादातर मरीज 20 से 40 साल की उम्र के हैं। केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने कहा है कि केरल में कोरोना वायरस के अधिकांश मरीज 40 साल तक के हैं।

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रविवार को यहां एक प्रेस मीट को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि केरल में अधिकांश कोविड​​-19 पॉजिटिव मरीज 20-40 वर्ष की आयु वर्ग के हैं, जबकि कोरोना से मरने वालों में से 72 प्रतिशत 60 वर्ष से ऊपर के हैं। इसका मतलब हुआ कि कोरोना से कम उम्र वाले लोगों को भी उतना ही खतरा है जितना बुजुर्गों को है।

केरल में बढ़ रहे नए मामले

केरल सरकार के मुताबिक, शनिवार तक राज्य में 656 लोगों की मौत COVID-19 के कारण हुई, जो कुल मामलों का 0.39 प्रतिशत है। यानि केरल में कोरोना से मौत का आंकड़ा ज्यादा तेज नहीं है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में अभी भी रिकवरी दर स्थिर है। लेकिन ओणम के बाद जब सरकार ने प्रतिबंध हटा दिए थे और अनलॉक के बाद राज्य में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की तादाद अचानक से बढ़ गई है। यह चिंता का विषय है। 

केरल में कोरोना मरीजों की डिस्चार्ज नीति पर जानकारी देते हुए स्वास्थ्य मंत्री शैलजा ने कहा कि केरल में COVID-19 पॉजिटिव व्यक्ति को केवल 10-15 दिनों के बाद छुट्टी दे दी जाती है, जब उसका कोरोना टेस्ट नेगेटिव आए। केरल सरकार की मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के सुझाव के अनुसार, यदि किसी मरीज में कोई लक्षण नहीं दिखता है तो उसको 4 से 5 दिनों में छुट्टी दी जा सकती है लेकिन हम उस सुझाव का पालन नहीं करते हैं। 


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