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सुरक्षित सड़कों के लिए 32 से अधिक राज्य आइआइटी के माडल का उपयोग करेंगे, सड़क हादसों में कमी लाने का लक्ष्य

देश में 32 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास द्वारा विकसित आंकड़े आधारित माडल का उपयोग करने के लिए अपनी सहमति जतायी है जो उन्हें उनकी सड़कों को सुरक्षित बनाने तथा ट्रामा केयर में सुधार करने में मदद करेगा।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 08 Nov 2021 06:35 AM (IST)Updated: Mon, 08 Nov 2021 06:35 AM (IST)
सुरक्षित सड़कों के लिए 32 से अधिक राज्य आइआइटी के माडल का उपयोग करेंगे, सड़क हादसों में कमी लाने का लक्ष्य
2030 तक सड़क हादसों में 50 प्रतिशत तक कमी लाना लक्ष्य।

नई दिल्ली, प्रेट्र। देश में 32 से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास द्वारा विकसित 'आंकड़े आधारित माडल' का उपयोग करने के लिए अपनी सहमति जतायी है जो उन्हें उनकी सड़कों को सुरक्षित बनाने तथा 'ट्रामा केयर' में सुधार करने में मदद करेगा। देश में हर साल सड़क हादसों में डेढ़ लाख से ज्यादा मौतें होती हैं। सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा भारत में नीति निर्माण और कार्यान्वयन में गुणवत्तापूर्ण आंकड़ों की कमी को एक प्रमुख बाधा बताए जाने के बीच इस माडल को आधिकारिक तौर पर विश्र्व बैंक के वित्त पोषण के साथ सड़क और परिवहन मंत्रालय द्वारा अपनाया गया है।

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आइआइटी की टीम ने राज्य सरकारों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि 2030 तक सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत की कमी और अंतत: यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली मौत को शून्य करने के लक्ष्य तक पहुंचने की दिशा में एक रोडमैप विकसित करने में उनकी मदद की जा सके।

आइआइटी मद्रास के इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग के प्रोफेसर वेंकटेश बालासुब्रमण्यम के अनुसार, शुरू में परियोजना को प्रायोगिक आधार पर छह राज्यों में शुरू किया गया था, जहां सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर सबसे अधिक थी। उन्होंने बताया कि इन छह राज्यों में कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु शामिल हैं।

बालासुब्रमण्यम ने कहा, 'हालांकि, भारत में 27 राज्य और पांच केंद्र शासित प्रदेश एकीकृत सड़क दुर्घटना डेटाबेस (आइआरएडी) को लागू करने के विभिन्न चरणों में हैं। कम से कम 11 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश ने पहले ही इसका उपयोग करके 'लाइव' डाटा संग्रह शुरू कर दिया है।''

परियोजना के तहत, एक मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया है जो पुलिसकर्मियों को फोटो और वीडियो के साथ सड़क दुर्घटना के बारे में विवरण दर्ज करने में सक्षम बनाता है, जिसके बाद घटना के लिए एक विशिष्ट 'आइडी' का निर्माण होता है।

इसके बाद, लोक निर्माण विभाग या स्थानीय निकाय के इंजीनियर को उनके मोबाइल फोन पर एक अलर्ट प्राप्त होगा। वह दुर्घटना स्थल का दौरा कर उसकी जांच करेंगे और आवश्यक विवरण, जैसे कि सड़क का डिजाइन आदि उसमें अपलोड करेंगे।

उन्होंने कहा, 'इस प्रकार एकत्र किए गए आंकड़ों का आइआइटी-मद्रास में एक टीम द्वारा विश्लेषण किया जाएगा जो सुझाव देगा कि क्या सड़क डिजाइन में सुधारात्मक उपाय किए जाने की आवश्यकता है। सड़क सुरक्षा सभी हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी है।'

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार, भारत का पांच ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना तभी पूरा होगा जब देश भर में माल और लोगों की आवाजाही समय पर और सुरक्षित होंगी।

उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर देश में हर साल 1,55,000 लोगों की सड़क हादसों में मौत होती है।

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