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रबी सीजन की फसलों के लिए मानसून छोड़ जाएगा बड़ी सौगात, किसान उठाएं इसका लाभ

केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री परसोतम रुपाला ने कहा कि कई सालों बाद पहली बार ऐसी बारिश हुई है जो रबी फसलों की खेती के सर्वाधिक अनुकूल है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 22 Sep 2019 08:11 PM (IST)Updated: Sun, 22 Sep 2019 08:11 PM (IST)
रबी सीजन की फसलों के लिए मानसून छोड़ जाएगा बड़ी सौगात, किसान उठाएं इसका लाभ
रबी सीजन की फसलों के लिए मानसून छोड़ जाएगा बड़ी सौगात, किसान उठाएं इसका लाभ

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। चालू मानसून सीजन अपने आखिरी दौर में भी जमकर बरस रहा है, जिसका फायदा खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान को मिलना तय है। लौटते मानसून से रबी सीजन की फसलों को बड़ी सौगात दे जाएगा। मिट्टी में बढ़ती नमी से जहां वर्षा आधारित खेती को बहुत फायदा मिलेगा। अक्टूबर से बोई जाने वाली तिलहन और दलहन की फसलों को लाभ होगा। खेती का एक बड़ा हिस्सा आज भी इंद्र देवता की कृपा यानी बारिश पर ही निर्भर है।

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रबी सीजन अभियान के राष्ट्रीय सम्मेलन में कृषि वैज्ञानिकों ने सभी राज्यों से रबी फसलों की बुवाई समय से करा देने का आग्रह किया है। ताकि किसानों को मिट्टी की पर्याप्त नमी का फायदा मिल जाए। इससे खेती का लागत में जहां कमी आएगी और उत्पादकता में भी वृद्धि होने की संभावना है। पिछले कई सालों का रिकार्ड तोड़ते हुए चालू सीजन में मानसून की बरसात अधिक हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में पोखर, तालाब और सभी जलाशय लबालब भर गये हैं, जिससे मिट्टी में नमी की मात्रा बरकरार बनी हुई है।

इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर त्रिलोचन महापात्र ने बताया कि मिट्टी में पर्याप्त नमी का फायदा किसानों को उठाने की जरूरत है। केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री परसोतम रुपाला ने कहा कि कई सालों बाद पहली बार ऐसी बारिश हुई है, जो रबी फसलों की खेती के सर्वाधिक अनुकूल है। ऐसी आबोहवा का फायदा राज्यों को उठानी चाहिए, जिससे इस बार रबी की खेती शानदार हो सकती है। यही मौका है जब तिलहन फसलों की खेती का रकबा बढ़ाया जा सकता है।

देश में कुल बुआई रकबा 14 करोड़ हेक्टेयर में से 6.84 करोड़ हेक्टेयर ही सिंचित है, जो लगभग 49 फीसद होगा। जबकि 51 फीसद से अधिक रकबा वर्षा आधारित है। इसके लिए मानसून की अच्छी बारिश का होना बहुत जरूरी है, जो इस बार है। चालू मानसून सीजन में सामान्य से अधिक बारिश हुई है, जिससे जमीन में नमी की मात्रा औसत से भी अधिक है।

वर्षा आधारित 7.16 करोड़ हेक्टेयर में बोयी जाने वाली फसलों की उत्पादकता 1.1 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक नहीं हो पाती है। जबकि सिंचित क्षेत्रों में फसलों की औसत उत्पादकता 2.8 टन प्रति हेक्टेयर है। जलवायु परिवर्तन के चलते सूखा और बाढ़ के प्रभावों ने असिंचित क्षेत्रों की खेती की उत्पादकता को और घटा दिया है। देश में 4 करोड़ हेक्टेयर रकबा बाढ़ की आशंका से प्रभावित रहता है। जबकि 80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र आमतौर पर हर साल बाढ़ में डूबता है।


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