भारत में घुसपैठ की फिराक में रोहिंग्या मुस्लिम, पाक खुफिया एजेंसी से जुड़े कई शरणार्थी!
पिछले साल अगस्त में म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैनिक कार्रवाई से बचने के लिए बड़ी संख्या में रोहिंग्या समुदाय के लोग भागकर बांग्लादेश आ गए थे।
ढाका, आइएएनएस। मानसून आने में केवल दो महीने रह गए हैं। बांग्लादेश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों को मानसून के कहर से बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर ले जाना वहां की सरकार के लिए गंभीर समस्या है। यही नहीं शरणार्थी शिविरों में बाढ़ आने पर रोहिंग्या मुस्लिमों के भारत में घुसपैठ करने की भी आशंका जताई गई है। इस संबंध में खुफिया सूचनाएं मिलने के बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने घुसपैठ को रोकने के लिए अपने जवानों को सतर्क कर दिया है। भारत और बांग्लादेश के बीच 4,096 किलोमीटर सीमा की सुरक्षा का जिम्मा बीएसएफ के पास है।
भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अवैध शरणार्थियों को देश में प्रवेश करने नहीं दिया जाएगा। कई रोहिंग्याओं के पाक खुफिया एजेंसी आइएसआइ से जुड़े होने का पता चला है। आइएसआइ नकली भारतीय मुद्रा पहुंचाने के लिए रोहिंग्या का इस्तेमाल करना चाहती है। बताया जाता है कि रोहिंग्या अवैध रूप से भारतीय पहचान हासिल करने का भी प्रयास कर रहे हैं। नाम नहीं बताने की शर्त पर बीएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि हमें खुफिया जानकारी मिली है कि बरसात शुरू होने पर रोहिंग्या भारत में घुसपैठ का प्रयास करेंगे। इसलिए सभी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के कमांडरों को सीमा पर सतर्क रहने को गया है।
11 लाख रोहिंग्या शरणार्थी
पिछले साल अगस्त में म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैनिक कार्रवाई से बचने के लिए बड़ी संख्या में रोहिंग्या समुदाय के लोग भागकर बांग्लादेश आ गए थे। करीब 11.5 लाख रोहिंग्या बांग्लादेश के दक्षिण पूर्वी कॉक्स बाजार क्षेत्र में शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। बांग्लादेश के मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक, इस क्षेत्र में भारी वर्षा रिकॉर्ड की जाती है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के मुताबिक, मानसून के दौरान रोहिंग्या शरणार्थियों पर तूफान, बारिश, बाढ़ और भूस्खलन का खतरा है। बांग्लादेश के अधिकारियों का कहना है कि रोहिंग्याओं की म्यांमार वापसी लंबित है। इसके अलावा इतनी बड़ी संख्या में शरणार्थियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करना या उन्हें कहीं और ले जाना संभव नहीं है।