एक महीने की देरी से शुरू हुई मानसून की वापसी, महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 399 लोगों की हुई मौत
मानसून सत्र के दौरान बारिश और बाढ़ से 1.09 लाख घर पूरी तरह 2.05 लाख आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए और 14.14 लाख हेक्टेयर में फसल तबाह हो गई।
नई दिल्ली, प्रेट्र। दक्षिणी पश्चिम मानसून ने चार महीने बरसात के बाद बुधवार से अपनी वापसी शुरू कर दी। मौसम विभाग ने यह जानकारी दी। इस साल वर्षा और बाढ़ के कारण 2100 से ज्यादा लोगों की जान गई और 46 लोगों के लापता होने की जानकारी मिली। चार महीने तक चले मानसून सत्र में 1994 से सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई।
भारतीय मौसम विभाग ने एक बयान में कहा है, 'उत्तर पश्चिम भारत में प्रति चक्रवात स्थिति बनने और नमी वाली स्थिति में लगातार कमी के बाद मानसून पंजाब, हरियाणा और उत्तरी राजस्थान से बुधवार को विदा हो गया। वैसे मानसून की विदाई की सामान्य तारीख एक सितंबर थी।' अगले दो-तीन दिन में भारत के अन्य हिस्सों से भी मानसून की विदाई की स्थिति बन गई है। उत्तर पश्चिमी हिस्से और मध्य भारत से दो तीन दिनों में मानसून की वापसी शुरू हो जाएगी।
मौसम विभाग ने कहा है कि सबसे विलंब में मानसून की दर्ज विदाई 1961 में एक अक्टूबर को हुई थी। वहीं इसके बाद 2007 में 30 सितंबर को विलंब से मानसून की विदाई हुई थी।
25 लाख से ज्यादा लोग हुए प्रभावित
इस साल मानसून सत्र के दौरान बारिश और बाढ़ से 22 राज्यों में 25 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए। यह जानकारी बुधवार को गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने दी। सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 399 लोगों की जान गई। बंगाल में 227, मध्य प्रदेश में 182, बिहार में 166, केरल में 181, गुजरात में 169 कर्नाटक में 106 और असम में 97 मौतें हुई। देश के 357 जिले बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित हुए। गृह मंत्रालय के अनुसार, 738 लोग घायल हुए और 20,000 पशुओं की जान गई। 1.09 लाख घर पूरी तरह, 2.05 लाख आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए और 14.14 लाख हेक्टेयर में फसल तबाह हो गई।