जुगाड़ की टेक्नोलॉजी से हो रही ट्रेन के एक-एक पुर्जे की निगरानी
बच्चों की बैटरी ऑपरेटेड कार को रिकॉर्डिंग कैमरे और एलईडी लाइट से लैस कर उसे रिमोट के जरिए हर कोच के नीचे से गुजारी जाती है। इस दौरान कैमरा पुर्जे को कैद करते जाता है।
बिलासपुर, जेएनएन। दक्षिण-पूर्व-मध्य रेल मंडल के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग ने कोचिंग डिपो में पहुंचने वाली ट्रेनों के एक-एक पुर्जे की जांच करने के लिए गजब की जुगाड़ टेक्नोलॉजी इजाद की है। बच्चों की बैटरी ऑपरेटेड कार को रिकॉर्डिंग कैमरे और एलईडी लाइट से लैस कर उसे रिमोट के जरिए हर कोच के नीचे से गुजारी जाती है। इस दौरान कैमरा पुर्जे को कैद करते जाता है। रिकॉर्डिंग के माध्यम से तकनीकी अधिकारी पुर्जो का परीक्षण कर बड़ी आसानी से छोटी-छोटी खराबियों को परख लेते हैं, जिनकी सामान्य नजरों से मॉनिटरिंग नहीं हो पाती है।
ऐसे किया तैयार
कार में तीन-तीन मेगा पिक्सल फुल एचडी आउटडोर बुलेट कैमरे, 10-10 वाट की चार एलईडी लाइटें लगाई गई हैं। साथ ही कार के जिस स्थान पर बच्चे बैठते हैं, वहां 12-12 वोल्ट की बैटरी लगाई गई है। इन बैटरी से पावर सप्लाई होती है जिससे कैमरे काम करते हैं।
ऐसे की जाती है ट्रेनों की जांच
छोटी कार रेलवे ट्रैक के बीच में शिफ्ट हो जाती है। ट्रैक पर खड़ी ट्रेन के नीचे से इस बैटरी कार को गुजारा जाता है। बैटरी कार जिस जगह से होकर गुजरती है, वहां रोशनी करते हुए इसमें लगे कैमरों की सहायता से ट्रेन के अंदरूनी हिस्से में लगे कलपुर्जों के फूटेज कैद करती जाती है। इसके बाद इन फूटेज को देखकर ट्रेन की अंदरूनी मशीन में आई खराबी को पकड़ा और उसे ठीक किया जाता है।