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    'मोदी सरकार सत्ता नहीं, सेवा की पर्याय'; PMO का नाम सेवातीर्थ करने पर बोले अमित शाह

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 10:23 PM (IST)

    प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर 'सेवा तीर्थ' कर दिया गया है। केंद्र सरकार के इस फैसले पर गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार सेवा का पर्याय है। ...और पढ़ें

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    अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर सेवा तीर्थ कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय जल्द ही नई कॉम्प्लेक्स में शिफ्ट होगा। इस बिल्डिंग का नाम ही सेवा तीर्थ रखा गया है। नया कॉम्प्लेक्स, जो बनने के आखिरी स्टेज में है, पहले सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 'एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव' के नाम से जाना जाता था।

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    प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर सेवा तीर्थ कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को यह फैसला किया। वहीं, बताया गया कि आने वाले कुछ समय में ही प्रधानमंत्री कार्यालय जल्द ही नई कॉम्प्लेक्स में शिफ्ट होगा। इसी इमारत का नाम सेवा तीर्थ रखा गया है।

    'मोदी सरकार सत्ता नहीं, सेवा की पर्याय'

    अब इस फैसले पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों से मोदी सरकार सत्ता नहीं, सेवा की पर्याय रही है, जिसमें सत्ता के सर्वोच्च नेता स्वयं को प्रधानसेवक मानकर जनता के लिए सातों दिन, 24 घंटे कार्य कर रहे हैं।

    सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में अमित शाह ने आगे लिखा कि इसी दिशा में पीएम नरेंद्र मोदी ने सेवा के संकल्प को दोहराते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को ‘सेवा तीर्थ’ नाम दिया है। साथ ही, राजभवन और राज निवास का नाम बदलकर लोक भवन और लोक निवास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सेवा और सुशासन को सर्वोपरि रखते हुए विकसित तथा हर क्षेत्र में श्रेष्ठ भारत के निर्माण की स्वर्णिम यात्रा में एक अहम पड़ाव है।

    2016 में बदला गया था पीएम आवास का नाम शुरुआत

    बता दें कि साल 2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आवास का नाम 7, रेस कोर्स रोड से बदलकर 7, लोक कल्याण मार्ग कर दिया था। इसके बाद एक कड़ी सी शुरू हो गई। 2022 में राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया।

    भारत के प्रशासनिक केंद्र में अब सेंट्रल सेक्रेटेरिएट नहीं, बल्कि कर्तव्य भवन है। सरकार के अनुसार यह बदलाव छवि निर्माण नहीं बल्कि शासन की सोच में परिवर्तन का प्रतीक है- सत्ता, नियंत्रण और दूरी के पुराने संकेतों को हटाकर सेवा, कर्तव्य और जवाबदेही को केंद्र में लाना।

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