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    PMO Seva Teerth: अब सेवातीर्थ के नाम से जाना जाएगा प्रधानमंत्री कार्यालय, सरकार ने लिया बड़ा फैसला

    Updated: Tue, 02 Dec 2025 03:55 PM (IST)

    प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) अब 'सेवा तीर्थ' के नाम से जाना जाएगा। सरकार ने यह महत्वपूर्ण फैसला पीएमओ की कार्यशैली और जनसेवा के प्रति समर्पण को देखते हुए लिया है। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य पीएमओ को जनता के लिए और अधिक सुलभ बनाना है, ताकि नागरिक अपनी समस्याओं और सुझावों को आसानी से रख सकें।

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    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर सेवा तीर्थ कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने यह फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय जल्द ही नई कॉम्प्लेक्स में शिफ्ट होगा। इस बिल्डिंग का नाम ही सेवा तीर्थ रखा गया है। नया कॉम्प्लेक्स, जो बनने के आखिरी स्टेज में है, पहले सेंट्रल विस्टा रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 'एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव' के नाम से जाना जाता था।

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    PMO के अलावा, 'एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव' में कैबिनेट सेक्रेटेरिएट, नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटेरिएट और इंडिया हाउस के ऑफिस भी होंगे, जो आने वाले बड़े लोगों के साथ हाई-लेवल बातचीत की जगह होगी। अधिकारियों ने कहा कि 'सेवा तीर्थ' एक ऐसा वर्कप्लेस होगा जिसे सेवा की भावना दिखाने के लिए डिजाइन किया गया है और जहां नेशनल प्रायोरिटीज़ आकार लेंगी, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारत के पब्लिक इंस्टीट्यूशन्स में एक शांत लेकिन गहरा बदलाव हो रहा है।

    नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही उपनिवेशकालीन शाही ठिकानों की छवि को बदलने की कोशिश जारी है। इसी क्रम में कुछ दिन पहले राजभवनों का नाम बदलकर को लोकभवन कर दिया गया था। सिर्फ नाम परिवर्तन नहीं, बल्कि पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सार्वजनिक पदों की भावना को पुनर्परिभाषित करने की व्यापक पहल का हिस्सा है।

    2016 में हुई शुरुआत

    इसकी शुरुआत 2016 में हुई थी, जब प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आवास का नाम 7, रेस कोर्स रोड से बदलकर 7, लोक कल्याण मार्ग कर दिया था। इसके बाद एक कड़ी सी शुरू हो गई। 2022 में राज पथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया।

    भारत के प्रशासनिक केंद्र में अब सेंट्रल सेक्रेटेरिएट नहीं, बल्कि कर्तव्य भवन है। सरकार के अनुसार यह बदलाव छवि निर्माण नहीं बल्कि शासन की सोच में परिवर्तन का प्रतीक है- सत्ता, नियंत्रण और दूरी के पुराने संकेतों को हटाकर सेवा, कर्तव्य और जवाबदेही को केंद्र में लाना।