मोदी सरकार ने दोगुनी की आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ-साथ मोदी सरकार ने कर चोरी रोकने में भी बड़ी सफलता हासिल की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के साथ-साथ मोदी सरकार ने कर चोरी रोकने में भी बड़ी सफलता हासिल की है। एनडीए सरकार ने महज चार साल में आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या दोगुनी कर दी है। यूपीए सरकार के कार्यकाल में तीन करोड़ के आस-पास रहने वाली रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या अब सात करोड़ का आंकड़ा छूने के करीब पहुंच गयी है। खास बात यह है कि पिछले वित्त वर्ष में लगभग एक करोड़ नए करदाताओं ने आयकर रिटर्न दाखिल किया है। वहीं परोक्ष कर के तहत पंजीकृत संख्या में भी जीएसटी लागू होने के बाद बड़ी संख्या में वृद्धि हुई है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में रिकार्ड 6.86 करोड़ आय कर रिटर्न दाखिल हुए। वित्त वर्ष 2017-18 के अंतिम दो दिनों में 56 लाख करदाताओं ने रिटर्न दाखिल किया है। वित्त वर्ष 2016-17 में 5.48 करोड़ आयकर रिटर्न भरे गए थे। इस तरह एक साल के भीतर इसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
गौरतलब है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में वित्त वर्ष 2013-14 में महज 3.79 करोड़ आय कर रिटर्न दाखिल हुए थे। इस तरह 2013-14 से 2017-18 के बीच आय कर रिटर्न में 81 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह पहली बार है जब देश में इतनी बड़ी तादाद में आयकर रिटर्न दाखिल हुए हैं। यह वृद्धि ऐसे समय हुई है जब मोदी सरकार ने कालेधन पर प्रहार करते हुए नोटबंदी जैसा साहसिक कदम उठाया है। साथ ही वर्षो से लंबित पड़े जीएसटी को भी लागू किया है।
जीएसटी लागू होने के बाद परोक्ष कर के करदाताओं की संख्या में भी वृद्धि हुई है। जीएसटी लागू होने से पहले वैट, केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर के दायरे में 65 लाख करदाता थे जो जीएसटी लागू होने के बाद बढ़कर एक करोड़ से अधिक हो गए हैं।
मौजूदा सरकार के कार्यकाल की सबसे बड़ी सफलता यह है कि इसमें बहुत से नए लोग आय कर रिटर्न भरने वालों में शामिल हुए। वित्त वर्ष 2017-18 में एक करोड़ से अधिक नए करदाताओं ने आयकर रिटर्न दाखिल किया जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में यह आंकड़ा 85.51 लाख था। इस तरह आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले नए करदाताओं की संख्या में 16.3 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
रिटर्न दाखिल करने वाले नए करदाताओं की संख्या में वृद्धि ऐसे समय हुई है जब मोदी सरकार ने आठ नवंबर 2016 को 500 रुपये और 1000 रुपये के पुराने नोटबंद करने का बड़ा फैसला किया था। सूत्रों का कहना है कि नोटबंदी के बाद विभाग को जमाराशियों के संबंध में जो जानकारी प्राप्त हुई और जिस तरह विभाग ने करदाताओं का आधार बढ़ाने के लिए एसएमएस और ईमेल के जरिए रिटर्न दाखिल न करने वाले संभावित व्यक्तियों से संपर्क किया, यह उसी का नतीजा है।
असल में आयकर रिटर्न की संख्या में आया यह उछाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अब तक भारत इस मामले में काफी पीछे रहा है। दुनिया के विकसित देशों में आय कर देने वालों का अनुपात अधिक है जबकि भारत में यह काफी कम रहा था। इसका असर यह हुआ है कि वित्त वर्ष 2017-18 में प्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़कर 10.02 लाख करोड़ रुपये हो गया है जो कि वित्त वर्ष 2016-17 में 8.49 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह इसमें 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह राशि आम बजट 2017-18 में प्रत्यक्ष कर संग्रह के रूप में जुटाने के लिए घोषित किए गए 9.8 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से भी अधिक है।
वित्त वर्ष रिटर्न की संख्या लाख में
2013-14 3.79
2014-15 4.04
2015-16 4.62
2016-17 5.48
2017-18 6.86