कश्मीर आपदा: मोदी भाई जहाज भेजेंगे तो हम जाएंगे घर
श्रीनगर हवाई अड्डे के करीब बड़ा सा मैदान अब 1700 लोगों का घर है। बाढ़ग्रस्त इलाकों से बचकर आए ये अधिकतर लोग वो हैं जो रोजी-रोटी के सिलसिले में जम्मू-कश्मीर आए और यहां फंस गए। इनमें उत्तर-प्रदेश, बिहार, झारखंड के अलावा गुजरात के 700 से अधिक लोग हैं। लोगों को बाहर निकालने के लिए भारतीय वायुसेना के
श्रीनगर [प्रणय उपाध्याय]। श्रीनगर हवाई अड्डे के करीब बड़ा सा मैदान अब 1700 लोगों का घर है। बाढ़ग्रस्त इलाकों से बचकर आए ये अधिकतर लोग वो हैं जो रोजी-रोटी के सिलसिले में जम्मू-कश्मीर आए और यहां फंस गए। इनमें उत्तर-प्रदेश, बिहार, झारखंड के अलावा गुजरात के 700 से अधिक लोग हैं। लोगों को बाहर निकालने के लिए भारतीय वायुसेना के बुधवार से अपनी उड़ानें बंद करने के बाद अब यह सारे लोग मदद की आस में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के इस शिविर की शरण में हैं।
पट्टन के इलाके में बीते दस दिन से फंसे रहने के बाद बीएसएफ कैंप में पहुंचीं 23 वर्षीय हेतल गुजराती हैं, जो पुराने कपड़े के बदले बर्तन बेचने का काम करती हैं। बाढ़ में स्थानीय लोगों की मदद से परिवार तो बच गया, लेकिन अब बाहर निकलने की सूरत नजर नहीं आ रही। इस दौरान गांठ के पैसे भी खत्म हो गए। अब किसी तरह वापस अहमदाबाद लौटना चाहती हैं। आस से कहती हैं मोदी भाई ने हवाई जहाज चलाए हैं तो हम वापस चले जाएंगे। गुजराती कामगार भी अपने सूबे का सियासी रसूख समझते हैं। सो, सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए मदद की गुहार लगाते हैं। मामला गुजरात के लोगों का है सो शिविर में अमला चौकन्ना जरूर है। ऊपर तक बात भी पहुंचाई गई है। वायुसेना द्वारा बचाव अभियान में अपनी उड़ानें बंद करने के बाद इन लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की तरकीबें निकाली जा रही हैं। हालांकि, मंगलवार दोपहर पहुंचे इन लोगों के बाहर निकलने की कोई सूरत अभी तक नहीं निकल पाई है। शिविर में बीएसएफ लोगों को रहने के लिए टेंट के अलावा भोजन और चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करा रही है।
इस बीच शिविर में तीन दिन बिताने के बाद झल्लाते हुए बुधवार दोपहर यहां से बाहर निकल रहे मंगल महतो की शिकायत झारखंड सरकार से भी है। बीमार बेटे और पत्नी के साथ रेलवे स्टेशन का रुख कर रहे महतो कहते हैं कि हमारे राज्य की सरकार भी हमारी सुध नहीं लेती। यहां जो लोग पैसे वाले थे, वो जहाज में चले गए, जबकि हम जैसे गरीब रह गए।
वायुसेना अधिकारियों की दलील है कि बीते कई दिनों राहत-बचाव उड़ानों में उसने हजारों लोगों को श्रीनगर से बाहर दिल्ली और जम्मू सुरक्षित पहुंचाया। इसमें तरह का कोई भेदभाव नहीं था, लेकिन कभी न कभी तो इस वायुसेना को अपने सामान्य क्त्रम पर लौटना था। अब बाढ़ प्रभावित इलाके में केवल आपात सहायता सामग्री की आपूर्ति के लिए ही उड़ानें हो रही हैं।
सुनी गुजराती कामगारों की
श्रीनगर में फंसे कामगारों की गुहार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुन ली है। मोदी ने अपने जन्मदिन पर उन कामगारों को निकालने के लिए सुविधाओं का तोहफा दिया है। पीएमओ ने बताया कि श्रीनगर में फंसे कामगारों को निकालने के लिए 20 गाड़ियां भेजी जाएंगी जो उन्हें गुजरात तक पहुंचाएंगी। मार्ग में उनके खाने-पीने का सभी प्रबंध सरकार करेगी।